Atmadharma magazine - Ank 245
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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: VI : आत्मधर्म पोन्नूर यात्रा–अंक
गातां गुरुदेवने बहु भावो उल्लसता हता. पछी पू. बेनश्रीबेने विधविध
स्तवनो वडे सुंदर भक्ति करावी हती. “गुरुकहान तारा चरणमां फरी फरी करे छे
वंदना” ए स्तवन पछी बीजुं एक स्तवन एवुं गवायुं के तेमां भक्त पोन्नूरगिरिने
प्रश्र पूछे छे के ‘हे पर्वत! मारा कुंदकुंद प्रभु केवा हता? एना सन्देशा तुं मने सुणाव....
’ अने पर्वत जाणे के एनो जवाब आपे छे! ईत्यादि अनेक रचनायुक्त भक्ति थई
हती. खूब जयजयकारथी वातावरण गाजी रह्युं हतुं. पर्वतनी शिलाओ ने वृक्षो पण
यात्रिकोथी उभराई रह्या हता.–आम गुरुदेव साथे घणा आनंदप्रमोदपूर्वक कुंदकुंद प्रभुना
पोन्नूरधामनी यात्रा करी.
यात्रा करीने नीचे आवतां तळेटीमां हजारो भक्तो सहित हाथीए गुरुदेवनुं
स्वागत कर्युं. तळेटीमां तो मोटो मेळो भरायो हतो. पोन्नूर पहाडथी त्रणेक माईल दूर
पोन्नूर गाम छे, त्यांना बे जिनमंदिरोनां दर्शन कर्या. अहींना जिनमंदिरमां
कुंदकुंदस्वामी दर्शन करवा पधारता हता. ए मंदिरमां दर्शन करतां घणो आनंद थयो. ए
उपरांत बांदेवासनी बाजुमां ‘सप्तमंगलम्’ मां पण जिनमंदिरना दर्शन कर्या.
पोन्नूरनी सामे नजीकमां ज धवलगिरि नामनो पहाड छे, ––वीरसेनस्वामीए
धवलाटीकानी रचना ए धवलगिरि उपर करी होवानुं मनाय छे. गुरुदेवने ए
सांभळीने घणी प्रसन्नता थई हती. बपोरे प्रवचन हाईस्कूलना चोगानमां हतुं, तेमां
गुरुदेव हिन्दीमां बोलता ने वच्चे पा–पा कलाके तेनु तामील भाषांतर करवामां आयतुं
हतुं. प्रवचन वखते त्रण–चार हजार माणसोनी सभामां कुंदकुंदप्रभुनो घणो महिमा
गुरुदेवे कर्यो हतो: ‘अहा! तेमणे तो सीमंधरप्रभुना साक्षात् दर्शन करीने आ
भरतक्षेत्रमां–आ स्थानेथी–श्रतनी नवीन प्रतिष्ठा करी छे. ’ प्रवचन बाद, बीजा दिवसे
पोन्नूर पर कुंदकुंदप्रभुना चरणोना अभिषेकनो कार्यक्रम जाहेर थयो ने ते माटेनी
उछामणीमां लगभग त्रीस हजार रूा. थया हता.
बीजा दिवसे (महा सुद १४) सवारमां फरीने पोन्नूरधामनी यात्रा करवा
चाल्या. अहा, जाणे कुंदकुंदप्रभुजी साक्षात् दर्शन देवा पधार्या होय–ने तेमना दर्शन करवा
जता होईए–एवो आजे यात्रिकोनो उमंग हतो. दर्शनादि बाद अभिषेकविधिनो प्रारंभ
करतां गुरुदेवे कह्युं: जुओ, सौ शांतिथी सांभळो....... आजे आ कुंदकुंदप्रभुनो मोटो
अभिषेक थाय छे. तेओ विदेहक्षेत्रे गया हता, ने सीमंधर भगवाननी वाणी सांभळी
अहीं आवीने शास्त्रो रच्या हता. आजे माह सुद १४ छे; आजनो अपूर्व दिवस छे.
अहींथी उपर गगनविहार करीने तेओ भगवान पासे गया हता. तेमनो आपणा उपर
घणो मोटो उपकार छे. तेमना अभिषेक–पूजा थाय छे. आम कहीने गुरुदेवे पोते
मांगळिकपूर्वक पूजन शरू कर्युं. आजना पूजननी ए विशेषता हती के गुरुदेव एकला
पूजन पाठ बोलता हता ने सौ यात्रिको भक्तिथी सांभळता हता. बेनश्रीबेन
स्वाहामंत्र बोले त्यारे हजार हजार