Atmadharma magazine - Ank 305
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म : फागण : २४९प
वीतराग–विज्ञान
प्रश्नोत्तरी
वीतरागविज्ञान भाग–१ एटले के छहढाळाना प्रथम अध्यायना
प्रवचनो, तेमांथी दोहन करीने अहीं १०० प्रश्नो अने तेना उत्तर गतांकमां
आपे वांच्या. त्यारपछी बाकीनां प्रश्नो अहीं आपवामां आव्या छे.
१०० सिद्धदशा शेनाथी भरेली छे? १०८. सिद्धनुं सुख के निगोदनुं दुःख
आत्माना आनंदथी भरेली छे. द्रष्टांन्त द्वारा समजावी शकाय?
१०१ निगोददशा शेनाथी भरेली छे? ना.
दुःखना दरियाथी भरेली छे. १०९. जीवोए पूर्वे केवा भावो भाव्या छे?
१०२ नरकादिमां शेनुं दुःख छे? अज्ञानथी मिथ्यात्वादिक भावो ज
तीव्र मोहनुं. भाव्या छे.
१०३ निगोदनो जीव एक मिनिटमां ११०. जीवोए पूर्व केवा भावो
केटला भव करे? नथी भाव्या?
हजारो. सम्यक्त्वादि भावोने पूर्वे कदी
१०४ अरिहंतोने अवतार केम नथी? नथी भाव्या.
मोह नथी माटे १११. सिद्ध झाझा के निगोद?
१०प. अवतार कोण करे? निगोदना जीवो अनंतगुणा छे.
जेने मोह होय ते. ११२. चार गतिमां सौथी थोडा जीवो
१०६. सिद्धभगवंतो एक जग्यामां कई गतिमां?
केटला छे? मनुष्यमां.
अनंता. ११३. मोक्षने साधवाना अवसरमां
१०७. निगोदिया जीवो एक जीवे शुं भूल करी?
जग्यामां केटला छे? रागमां ने बाह्यक्रियामां धर्म
अनंता. मानीने रोकाई गयो.