Atmadharma magazine - Ank 036
(Year 3 - Vir Nirvana Samvat 2472, A.D. 1946)
(Devanagari transliteration).

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आसो : २४७२ आत्मधर्म : २१५ :
श्रावण वद १३ थी भादरवा सुद ५ सुधीना
दिवसोमां धार्मिक महोत्सव उजवायो हतो. आ
दिवसो दरमियान थयेला कार्यक्रमनी टूंक माहिति
अत्रे जणाववामां आवे छे–
उत्सवना आठे दिवसो दरमियान सामान्यपणे
नीचे मुजब कार्यक्रम हतो–
सवारे प
।।। –६ श्री सद्गुरु स्तुति तथा चर्चा.
।। –७।। श्री जिनमंदिरमां पूजन स्तवनादि.
८–९ पू. गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान
(श्री समयसारजी गाथा १३)
९–१० तत्त्वचर्चा
।। –२।। पहेलां त्रण दिवस उपादान
निमित्तना दोहानुं वांचन, पछीना
दिवसोमां श्री समयसार तथा
प्रवचनसार हरिगितनी स्वाध्याय.
३–४ पू. गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान (श्री
पद्मनंदी सूत्रमां श्री
ऋषभजिनस्तोत्र)
४–५ श्री जिनेन्द्रदेवनी भक्ति.
५–५।।। तत्त्वचर्चा
।। –७ आरति (श्री जिनेन्द्रदेव
आचार्यदेव तथा सत्श्रुतनी)
७–८ प्रतिक्रमण–– (अर्थसहित)
८–९ रात्रिचर्चा
[आ दिवसोनां व्याख्यान तथा चर्चाओनो टूंक सार
क्रमेक्रमे ‘आत्मधर्म’ मां प्रगट थशे.]
आ सिवाय नीचेना खास प्रसंगो उजवाया
हता– ‘भगवान श्री कुंदकुंदप्रवचनमंडप’ मां प्रवेश
भादरवा सुद १ ना रोज बपोरे एक वागे पू.
सद्गुरुदेवश्रीए समस्त संघ सहित धामधूमथी
‘श्रीमंडप’ मां प्रवेश कर्यो हतो. ‘श्रीमंडप’ मां प्रवेश
करता पू. गुरुदेवश्रीने मुमुक्षोए साचा मोती, चांदीनुं
श्रीफळ, अक्षत अने कुंमकुंमथी उल्लासपूर्वक वधाव्या
हता. प्रवेश बाद श्रीमंडपमां मानद् मंत्रीश्रीए पू.
गुरुदेवश्रीना अपार उपकारने दर्शावतुं भक्तिभीनुं
भाषण कर्युं हतुं.
वींछीयामां श्री जिनमंदिर निर्माण
त्यारबाद शेठ नेमीदास खुशालचंदभाईए, पू.
गुरुदेवश्रीने आहारदान करवानो तथा सकलसंघना
वात्सल्य भोजननो पोताने लाभ मळ्‌यो तेना
उल्लासथी, वींछीयामां श्री जिनमंदिर निर्माण कराववा
माटेनुं समस्त खर्च (रूा. १०००० जेवडी उमदा रकम)
पोताना तरफथी आपवानुं जाहेर कर्युं हतुं अने ते
उपरांत बहार गामना मुमुक्षुओने उतारानी सगवड
माटेनी व्यवस्था करवा माटे रूा. ५००२ २५०१ पोता
तरफथी तथा २५०१ पोताना धर्मपत्नी तरफथी) श्री
स्वाध्यायमंदिरट्रस्टने भक्तिपूर्वक अर्पण कर्या हता.
वींछीयामां श्री जिनमंदिर उपरांत ‘श्री
जैनस्वाध्याय मंदिर’ बंधाववानुं पण नक्की थयेल छे
ते माटे योग्य फंड थयेल छे.
‘श्रीमंडप’ मां मंगल मुहूर्त
सवा वाग्ये श्रीमंडपमां श्रीसमयसारजीनी
स्वाध्याय थई हती. स्वाध्यायनी मंगल शरूआत पू.
गुरुदेवश्रीए नीचे मुजब करी हती.
धु्रव अचल ने अनुपम गति पामेल सर्वे सिद्धने
वंदी कहुं श्रुतकेवळी कथित आ समय प्राभृत अहो!
‘श्री मंडपे’ प्रभुजी पधार्या
व्याख्यान पूरुं थया पछी तुरत गाजते–वाजते
श्री महावीर प्रभुजीने ‘श्रीमंडपमां’ पधराववामां
आव्या हता, अने त्यां ज भक्ति थई हती.
श्री जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा
भादरवा सुद ३ ना रोज सवारे व्याख्यान
पछी तुरत ज श्रीप्रभुजीनी रथयात्रा नीकळी हती.
चांदीनी पालखीमां प्रभुजीने पधराव्या हता अने
प्रभुजी साथे चांदीना अष्टमंगल द्रव्यो, मेरु पर्वत,
तथा बेन्ड वाजां ईत्यादि अने पू. गुरुदेव सहित सकल
संघ–एवी रीते रथयात्रा घणी प्रभावक हती. नगर
बहार वनमां जईने त्यां प्रभुश्रीनुं पूजनविधान
करीने रथयात्रा पाछी फरी हती.
स्वाध्याय
आ दिवसे रात्रे चर्चा वखते श्री आत्मसिद्धिनी
स्वाध्याय करवामां आवी हती.
उपादान–निमित्तनो संवाद
भादरवा सुद–४ ना रोज व्याख्यान पछी तुरत
(९ थी ९।।] लाठी–जैन पाठशाळाना विद्यार्थीओए
उपादान–निमित्तनो संवाद भजव्यो हतो. आ संवाद
भैया भगवतीदासजीकृत उपादान–निमित्तना दोहरा ने
आधारे तैयार करवामां आव्यो हतो. संवाद सुंदर रीते
भजवायो हतो. संवाद भजवनारा विद्यार्थीओने
मुमुक्षुओ तरफथी लगभग २००–रूा. नां ईनामो
अपायां हतां.
श्रुतज्ञानपूजन
भादरवा सुद ५ ना रोज सवारे व्याख्यान
पछी (९थी१०) समयसारादि सत्शास्त्रोनी ज्ञान–
पूजा करवामां