कठिन कठिनसे मित्र! जन्म मानुषका लिया.
ताहि वृथा मत खोय, जोय आपा–पर भाई,
गये न मिलती फेर समुद्रमें डुबी राई.
वीर सं. २४९५ द्वि. अषाड (लवाजम: चार रूपिया) वर्ष २६: अंक ९
Atmadharma magazine - Ank 309
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration). Entry point of HTML version.
PDF/HTML Page 1 of 42