Atmadharma magazine - Ank 311
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
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मुनिदशा अंगीकार करवाना अद्भुत भावभीना
प्रसंगनुं वर्णन आप आ अंकमां वांचशो. पू. कानजीस्वामी
ए प्रवचनमां कहे छे के अहा, मुनिदशाना महिमानी शी
वात! मुनिनां दर्शन पण महाभाग्ये ज मळे छे. मुनिदशा
ए तो परमेष्ठी पद! ईन्द्रो अने चक्रवर्तीओ पण भक्तिथी
जेनो आदर करे छे ने केवळज्ञान लेवानी जेनी तैयारी छे,
एवा मुनिराज परम वंदनीय छे.
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