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वाह! केवा शोभी रह्या छे–आ सिद्ध भगवान!
ज्ञानीओ कहे छे के एवो ज तारो आत्मा शोभी रह्यो
छे. अहा, ज्ञानीओए सिद्ध जेवो आत्मा आपणने
आप्यो. तो एना करतां मोटी मंगल बोणी बीजी कई
होय?
अने
‘तुं सिद्ध था’ –एना करतां बीजा ऊंचा आशीर्वाद कया होय?
संतो पासेथी आवी उत्तम बोणी अने मंगल
आशीष झीलीने आपणे आपणा सिद्धपदने
साधीए......ए ज एक भावना.
तंत्री: पुरुषोत्तमदास शिवलाल कामदार • संपादक : ब्र हरिलाल जैन
वीर सं. २४९प आसो (लवाजम : चार रूपिया) वर्ष २६ : अंक १२