३२४
अवसर छे आराधनानो.....
सिद्धपदना अतीन्द्रिय आनंदनी सुवास प्रसरावतां आ
वर्षना प्रारंभमां गुरुदेवे आत्मानी आराधनानो मंत्र आपतां
एम कह्युं हतुं के–आत्मानी प्रभुतामां बधुं समाई जाय छे.
आत्मानी प्रभुताने आराधवी ते मंगल–सुप्रभात छे. आ
ज्ञानस्वरूप आत्मा छे ते ज सत्य छे, ते ज कल्याणरूप छे ने ते ज
अनुभव करवा योग्य छे.
कंठगतप्राण सुधी एटले के जींदगीना छेल्ला श्वास सुधी
वीतरागी–श्रुतना अध्ययन वडे ज्ञानस्वरूप आत्मानी भावना
कर्तव्य छे.
आयु कई क्षणे पूरुं थशे–एनी तने खबर नथी, माटे हे
जीव! अविनाशी आतमरामने लक्षगत करीने तेना प्रत्ये क्षणे
क्षणे जागृत रहेजे.
बहारनी आंख बंध करीने अंदरनी आंख खोल ने ज्ञान
दीवडा प्रगट करीने तारा चैतन्यप्रभुने देख. चैतन्यनी
आराधनानो आ अवसर छे. हे वालीडा! आराधनाना अवसरने
चुकीश मा!
तंत्री: पुरुषोत्तमदास शिवलाल कामदार * संपादक: ब्र. हरिलाल जैन
वीर सं २४९६ आसो (लवाजम चार रूपिया) वर्ष २७: अंक १२