Atmadharma magazine - Ank 041
(Year 4 - Vir Nirvana Samvat 2473, A.D. 1947)
(Devanagari transliteration).

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फागणः २४७३ः ९३ः
तेमना प्रमुखपणा नीचे शेठश्रीने एक अभिनंदनपत्र आपवामां आव्युं हतुं. अभिनंदनपत्रना उत्तरमां तेओश्रीए
एक टूंकुं भाषण कर्युं हतुं. ते बंने आ अंकमां छापवामां आव्या छे.
त्यारबाद प्रमुखस्थानेथी श्री दीवानसाहेबे टुंकुं भाषण कर्युं हतुं.
बाकी बधो कार्यक्रम हर वखतना धार्मिक उत्सवो प्रमाणे हतो.
* * *
भगवान श्रीकुंदकुंद प्रवचन मंडपमां मंगळ प्रसंग
‘भगवान श्रीकुंदकुंद प्रवचन मंडप’ नुं उद्घाटन थयुं ते मंगळ प्रसंगे राजकोटना भाईश्री खीमचंद जेठालाल
शेठ (उ. व. ४४) तथा तेमना धर्मपत्नी जयाकुंवरबेन (उ. व. ४०) ए बंनेए सजोडे पू. गुरुदेवश्री पासे
आजीवन ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं छे. भाईश्री खीमचंदभाई घणा शांत, बुद्धिशाळी अने तत्त्वप्रेमी छे. आ उंमरे
तेओए ब्रह्मचर्य लईने घणुं सुंदर कार्य कर्युं छे. आ प्रसंगने तेमना कुटुंबीओए अत्यंत उल्लासथी शोभाव्यो हतो.
भाईश्री खीमचंदभाई तथा जयाबेन आ कार्यने माटे अभिनंदनने पात्र छे.
वळी एथी पण विशेष हर्षदायक प्रसंग ए छे के–जामनगरना रहीश महेता नथुभाई परशोत्तमना सुपुत्र
भाईश्री अमृतलाल नथुभाई तथा मोरबीना रहीश महेता अमृतलाल कासीदासना सुपुत्र भाईश्री हरिलाल
अमृतलाल–ए बंने भाईओए पू. सद्गुरुदेवश्री पासे आजीवन–ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं छे. बंने भाईओनी उंमर
मात्र २३ वर्षनी छे, बंने कुमार–ब्रह्मचारी छे. लांबा वखतथी पू. गुरुदेवश्रीना चरणे रहीने तेओ तत्त्वनो अभ्यास
सतत्पणे करी रह्या छे, बंने घणा तत्त्वप्रेमी, बुद्धिशाळी, अने वैराग्यवंत छे, अने पू. गुरुदेवश्रीनी तेमना उपर
कृपाद्रष्टि छे. नानी उंमरे आवुं महान कार्य करवा बदल बंने भाईओने घणा अभिनंदन घटे छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा आपतां पू. गुरुदेवश्रीने पण घणो उल्लास हतो. अने आ घणो मंगळ प्रसंग छे एम
तेओए जणाव्युं हतुं. आ उपरांत ते ज वखते बालेसर (मारवाड) ना रहीश भाईश्री हस्तीमलजी (उ. व. ४२)
तथा घोडनदी गामना रहीश भाई गिरिधरलालजी के जेओ दरजी ज्ञातिना छे–ते बंने भाईओए पण आजीवन
ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं हतुं भाई हस्तीमलजी पण कुमार ब्रह्मचारी छे.
आ प्रसंगे एक ए पण जणाववुं योग्य छे के लाखणकाना रहीश शाह आणंदजी वलमजीना सुपुत्र भाईश्री
गुलाबचंद आणंदजी (उ. व. ३प) तेमणे पण पूज्य गुरुदेवश्री पासे सं. १९९पमां आजीवन ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं
छे. ब्रह्मचर्य लीधुं ते वखते तेमनी उंमर २७ वर्षनी हती. तेओ छेल्ला आठेक वर्ष थया पू. गुरुदेवश्रीना चरणोमां
रही तत्त्वनो अभ्यास करे छे. अने तेओश्री पण कुमार–ब्रह्मचारी छे, तेओ घणा सेवाभावी छे.
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आजीवन ब्रह्मचर्य
ता. २४–१–४७ माह सुद १ गुरुवारना रोज मोरबीना रहीश भाईश्री मनसुखलाल जीवराज महेता तथा
तेमना धर्मपत्नी नवलबेन–तेमणे सजोडे पू. गुरुदेवश्री पासे आजीवन ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं छे. खास ब्रह्मचर्य
लेवा माटे मोरबीथी कुटुंबीजनो सहित पू. गुरुदेव पासे आवीने तेमणे पोतानी भक्ति प्रदर्शित करी छे.
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नियमसार–प्रवचनोः भाग १
भगवान श्रीकुंदकुंदाचार्यदेव रचित नियमसार उपर श्री पद्मप्रभमलधारिदेवनी टीका एटले तो अध्यात्मनी
टोच! तेना उपर विस्तृत प्रवचनो करीने पू. सद्गुरुदेवश्रीए अध्यात्मना अति गहन विषयोने समजवा सुगम करी
दीधा छे. पहेला जीवअधिकार (गा. १ थी १९) उपरनां प्रवचनो प्रगट थई गयां छे. अध्यात्म रसिकजनोए अवश्य
तेनो अभ्यास–मनन करवा योग्य छे, पृष्ट ३२० किंमत. रूा. १–८–०