
तेमना प्रमुखपणा नीचे शेठश्रीने एक अभिनंदनपत्र आपवामां आव्युं हतुं. अभिनंदनपत्रना उत्तरमां तेओश्रीए
एक टूंकुं भाषण कर्युं हतुं. ते बंने आ अंकमां छापवामां आव्या छे.
बाकी बधो कार्यक्रम हर वखतना धार्मिक उत्सवो प्रमाणे हतो.
आजीवन ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं छे. भाईश्री खीमचंदभाई घणा शांत, बुद्धिशाळी अने तत्त्वप्रेमी छे. आ उंमरे
तेओए ब्रह्मचर्य लईने घणुं सुंदर कार्य कर्युं छे. आ प्रसंगने तेमना कुटुंबीओए अत्यंत उल्लासथी शोभाव्यो हतो.
भाईश्री खीमचंदभाई तथा जयाबेन आ कार्यने माटे अभिनंदनने पात्र छे.
अमृतलाल–ए बंने भाईओए पू. सद्गुरुदेवश्री पासे आजीवन–ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं छे. बंने भाईओनी उंमर
मात्र २३ वर्षनी छे, बंने कुमार–ब्रह्मचारी छे. लांबा वखतथी पू. गुरुदेवश्रीना चरणे रहीने तेओ तत्त्वनो अभ्यास
सतत्पणे करी रह्या छे, बंने घणा तत्त्वप्रेमी, बुद्धिशाळी, अने वैराग्यवंत छे, अने पू. गुरुदेवश्रीनी तेमना उपर
कृपाद्रष्टि छे. नानी उंमरे आवुं महान कार्य करवा बदल बंने भाईओने घणा अभिनंदन घटे छे.
तथा घोडनदी गामना रहीश भाई गिरिधरलालजी के जेओ दरजी ज्ञातिना छे–ते बंने भाईओए पण आजीवन
ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्युं हतुं भाई हस्तीमलजी पण कुमार ब्रह्मचारी छे.
छे. ब्रह्मचर्य लीधुं ते वखते तेमनी उंमर २७ वर्षनी हती. तेओ छेल्ला आठेक वर्ष थया पू. गुरुदेवश्रीना चरणोमां
रही तत्त्वनो अभ्यास करे छे. अने तेओश्री पण कुमार–ब्रह्मचारी छे, तेओ घणा सेवाभावी छे.
लेवा माटे मोरबीथी कुटुंबीजनो सहित पू. गुरुदेव पासे आवीने तेमणे पोतानी भक्ति प्रदर्शित करी छे.
दीधा छे. पहेला जीवअधिकार (गा. १ थी १९) उपरनां प्रवचनो प्रगट थई गयां छे. अध्यात्म रसिकजनोए अवश्य
तेनो अभ्यास–मनन करवा योग्य छे, पृष्ट ३२० किंमत. रूा. १–८–०