Atmadharma magazine - Ank 060
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page  


PDF/HTML Page 17 of 17

background image
ATMADHARMA With The permission of the Baroda Govt. Regd No. B, 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
श्र स्त्र ष्
प्रवचनसर
भगवान श्री कुंदकुंदाचार्य देवप्रणीत श्री प्रवचनसारनी मूळ गाथाओ, संस्कृत छाया
तथा अमृतचंद्राचार्य–देवरचित संस्कृत टीका अने तेनो अक्षरश: गुजराती अनुवाद आ
शास्त्रमां छे. ते उपरांत मूळ गाथाओनो गुजराती पद्यानुवाद (हरिगीत) पण साथे ज छे.
आ आखुं प्रवचनसार–शास्त्र द्विरंगी छापवामां आव्युं छे. तेमां एकंदर लगभग
५०० पृष्ठ छे. आनी पडतर किंमत लगभग रूपिया ५–०–० थाय छे, परंतु तेनी किंमत मात्र
रूपिया २–८–० राखवामां आवी छे. अत्यार सुधीमां हजार उपरांत नकलो खपी गई छे.
आ अनुवादनुं महाकार्य विद्वान् भाईश्री हिंमतलाल जेठालाल शाह (B. Sc.)
पांच वर्षना सतत् परिश्रमे कर्युं छे.
आ शास्त्रमां आवता विषयोनुं तेमज तेना कर्ता आचार्य भगवंतोना ऊंडा ऊंडा
हृदयनुं दिग्दर्शन टूंकमां पण घणी ज असरकारक गंभीर शैलीथी उपोद्घातमां अनुवादके
कराव्युं छे. उपोद्घातना अंतमां तेओ जणावे छे के
“आ अनुवाद में प्रवचनसार प्रत्येनी भक्तिथी अने गुरुदेवनी प्रेरणाथी प्रेराईने,
निजकल्याण अर्थे, भवभयथी डरतां डरतां कर्यो छे. ***
“आ अनुवाद भव्य जीवोने जिनकथित वस्तुविज्ञाननो निर्णय करावी, अतींद्रिय
ज्ञान अने सुखनी श्रद्धा करावी, प्रत्येक द्रव्यनुं संपूर्ण स्वातंत्र्य समजावी, द्रव्य सामान्यमां
लीन थवारूप शाश्वत सुखनो पंथ दर्शावो, ए मारी अंतरनी भावना छे. ‘परमानंदरूपी
सुधारसना पिपासु भव्य जीवोना हितने माटे, श्री अमृतचंद्राचार्यदेवे आ महाशास्त्रनी
व्याख्या लखी छे. जे जीवो एमां कहेल परम कल्याणकर भावोने हृदयगत करशे तेओ
अवश्य परमानंदरूपी सुधारसना भाजन थशे. ज्यां सुधी ए भावो हृदयगत न थाय त्यां
सुधी निशदिन ए ज भावना, ए ज विचार, ए ज मंथन, ए ज पुरुषार्थ कर्तव्य छे. ए ज
परमानंदप्राप्तिनो उपाय छे. श्री अमृतचंद्राचार्यदेवे तत्त्वदीपिकानी पूर्णाहुति करतां
भावेली भावना भावीने आ उपोद्घात पूर्ण करुं छुं: “आनंदामृतना पूरथी भरचक वहेती
कैवल्यसरितामां जे निमग्न छे; जगतने जोवाने समर्थ एवी महाज्ञानलक्ष्मी जेमां मुख्य छे,
उत्तम रत्नना किरण जेवुं जे स्पष्ट छे अने जे ईष्ट छे–एवा प्रकाशमान स्व–तत्त्वने जीवो
स्यात्कार लक्षणथी लक्षित जिनेंद्रशासनना वशे पामो.”
जैनशासनमां भगवान कुंदकुंददेवना पवित्र परमागमोनुं अद्वितीय बहुमान छे.
श्री समयसारजीना हरिगीत–गुटकानी जेम श्री प्रवचनसारजीनो पण हरीगीत–
गुटको छपायो छे. प्रवचनसार–हरिगीतनी किंमत ०–५–० छे.
प्राप्तिस्थान
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ : सौराष्ट्र