ATMADHARMA With the permission of the Baroda Govt. Regd. No. B. 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
प्रौढवयना गृहस्थो माटे
श्री जैनदर्शन शिक्षण वर्ग
गया वर्षनी माफक आ वर्षे पण श्रावण
सुद २ (ता. २७–७–४९) बुधवारथी शरू करीने
श्रावण वद १२ (ता. २१–८–४९) रविवार
सुधी, सोनगढमां श्री जैनस्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
तरफथी साचा तत्त्वज्ञानना अभ्यासनी
शरूआत करनारा भाईओ माटे एक जैन
शिक्षणवर्ग खोलवानुं नक्की कर्युं छे. आ वर्ग
खास प्रौढ उंमरना जैन भाईओने अनुलक्षीने
खोलवामां आव्यो छे. जे मुमुक्षु भाईओने
वर्गमां आववानी ईच्छा होय तेओए पोतानुं
नाम “श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ’
ए सरनामे तुरत मोकली देवुं.
पु. गुरुदेवश्रीनुं सोनगढमां आगमन
लाठीमां पंचकल्याणक महोत्सव पूरो
करीने पू. गुरुदेवश्रीए जेठ सुद ९ ना रोज
त्यांथी विहार कर्यो अने जेठ सुद पूर्णिमाए
सोनगढ पधार्या. पू. गुरुदेवश्री पधार्या त्यारे
सर्वे मुमुक्षु संघे अंतरना उमळकाथी स्वागत
कर्युं हतुं. पू. गुरुदेवश्री सुखशांतिमां सोनगढ
बिराजे छे. हाल सवारे व्याख्यानमां श्री
प्रवचनसारनो ज्ञेयअधिकार वंचाय छे अने
बपोरे श्री समयसारजीनो सर्व विशुद्धज्ञान
अधिकार वंचाय छे.
भरतना पुत्रोनी वैराग्य भावना
[भरतजीना नानी उंमरना पुत्रो
पोताना मोटाभाई पासे दीक्षा लेवानी
भावना व्यक्त करतां कहे छे के–]
(१) आत्मा तणा आनंदमां मशगुल रहेवा ईच्छतो,
नहि देह बीजो धारशुं.
आनंदने अवधारशुं.
(३) वडील भ्रात हे! में दुःख बहु सह्यां
अनंतकाळमां बस शरीर फेरव्यां.
धरमनो नहि रंग जेहने.
मरण ने वळी जनम तेहने
नरकमां बहु वेदना सही
अरर! यादथी कंपे देहडी.
परतणी घणी प्रीत में करी,
शरम ना कदी लेश में धरी.
अमर आत्मा ओळख्यो हवे,
परम पात्रता मेळवी खरे.
–बाळकोना संवादमांथी.
मुद्रक: चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय: मोटा आंकडिया सौराष्ट्र ता. ६ – ७ – ४९
प्रकाशक: श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट: सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया: सौराष्ट्र