न थई शके. ज्ञानी तेने कहे छे के भाई, दरेक जीव आत्मस्वभावने
समजी शके छे. जेनामां समजण–शक्ति छे तेणे ऊंधाईथी भूल करी
छे, ते भूल टाळीने ते पोते साची समजण करी शके छे. भूल
करनार जीव पोते छे, ने साची समजण करीने भूल टाळनार पण
पोते छे. जीव भूले ने जीव समजे. कांई जड समजतुं नथी; माटे,
मने न समजाय एवी बुद्धि काढी नांखवी. जेने आत्मानो प्रेम होय
तेने आत्मानी समजण मुश्केल न लागे.