Atmadharma magazine - Ank 082
(Year 7 - Vir Nirvana Samvat 2476, A.D. 1950)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
बे हजार पानांनुं उच्ा आध्यात्मिक साहित्य
मात्र रू। ८) मां
परम पूज्य श्री कानजी स्वामीए समयसार उपर जे प्रवचनो कर्यां छे ते
अनुक्रमे छपाईने प्रसिद्ध थाय छे. तेमां चार भाग प्रसिद्ध थई गया छे.
अनादिकाळथी संसार–परिभ्रमणमां जीव शा कारणे रखडी रह्यो छे अने तेनुं
ए संसार–परिभ्रमण कई रीते मटे? ते आ प्रवचनोमां खास विशिष्ट शैलिथी,
घणी सहेली रीते समजाववामां आव्युं छे. आ समयसार–प्रवचनोना भाग १–
३–४ दरेकनी किंमत ३–०–० छे अने भाग बीजानी किंमत १–८–० छे, ए रीते
चार भागनी एकंदर किंमत रू
१०–८–० थाय छे. परंतु दिवाळी सुधीमां चारे
भागनो सेट एक साथे खरीद करनारने नीचे प्रमाणे खास लाभ आपवानुं
नक्की कर्युं छे:–
(१) साडादस रूपियानी किंमत आपीने चारे भाग एक साथे खरीदनार
जिज्ञासुने एक वर्ष सुधी आत्मधर्मना ग्राहक गणवामां आवशे;
तेमणे आत्मधर्मनुं लवाजम भरवुं पडशे नहि. अथवा तो–
(२) चारे भागनो सेट एक साथे खरीद करनारने रू साडादसने बदले
फक्त आठ रू मां आपवामां आवशे.
(३) चार भागमांथी कोई भाग छूटक खरीदनारने साडा–बार टका
वळतर कापी आपवामां आवशे.
दरेके दरेक जिज्ञासुओए पू. गुरुदेवश्रीना समयसार–प्रवचनोनुं ओछामां
ओछुं एक पुस्तक तो अवश्य वांची जवा खास भलामण छे.
: प्राप्तिस्थान :
श्री जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
मुद्रक : – चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय : मोटा आंकडिया (जि. अमरेली) ता. १५ – ८ – ५०
प्रकाशक : – श्री जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया (जि. अमरेली)