Atmadharma magazine - Ank 084
(Year 7 - Vir Nirvana Samvat 2476, A.D. 1950)
(Devanagari transliteration).

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धर्मनुं मूळ सम्यक्दर्शन
आसो संपादक वर्ष सातमुं
२४७६ रामजी माणेकचंद दोशी अंक बारमो
वकील
“श्री सद्गुरु–प्रवचन–प्रसाद”
“श्री सद्गुरु–प्रवचन–प्रसाद” नामनी हस्तलिखित सचित्र
दैनिक पत्रिका भादरवा सुद पांचमथी प्रकाशित थाय छे; तेनुं मासिक
लवाजम रूा. ६–०–० छे. परम पूज्य सद्गुरुदेवश्रीनी
अमृतवाणीनो लाभ प्रतिदिन मळी शके तेवी बहारगाम वसता
घणा जिज्ञासु–ओनी भावना हती, तेथी अनेक गामना
मुमुक्षुमंडळोए मळीने पू. गुरुदेवश्रीनां हंमेशनां प्रवचनोनी
प्रसादीरूपे उपर्युक्त पत्रिका काढवानी योजना करी छे. आ पत्रिकामां
पूज्य गुरुदेवश्रीनां दररोजना प्रवचनोनी तात्त्विक नोंध लगभग
बे पानामां प्रसिद्ध करवामां आवे छे, अने ते वांचकोने मोकलवामां
आवे छे. माटे जे जिज्ञासुओने पू. गुरुदेवश्रीनां प्रवचनोनी प्रसादी
हंमेशां मेळववा भावना होय तेमणे रूा. ६–०–० भरीने ग्राहक थई
जवुं. जो ग्राहको वधे तो आ पत्रिकानुं लवाजम घटाडवानी भावना
छे. आ पत्रिकानी मर्यादित नकलो ज नीकळे छे, माटे ग्राहकोए
तुरत नाम लखावी देवा विनंति छे. नानां–मोटा घणाखरा गामना
मुमुक्षुमंडळोमां आ पत्रिका वंचाय छे. पत्रिकानो नमूनो जोवा ईच्छा
होय तेओए पत्र लखीने नमूनो मंगावी लेवो.
सोनगढ (सौराष्ट्र) खीमचंद जेठालाल शेठ
छूटक नकल शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक वार्षिक लवाजम
चार आना
८४
त्रण रूपिया
जैन स्वाध्यायमंदिर–सोनगढ–सौराष्ट्र