Atmadharma magazine - Ank 089
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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“भगवान श्री सीमंधर जिन स्वागत अंक”
८९
: संपादक :
वकील रामजी माणेकचंद दोशी
साधकना
साथीदार
आजे ‘मुक्तिमंडप’ नां मांगलिक छे. सर्वज्ञ परमात्मा श्री सीमंधर
भगवान पासे कुंदकुंदाचार्यदेव गया हता अने तेमनो साक्षात् दिव्यध्वनि सांभळीने
जे शास्त्रो रच्चा छे तेमां अपूर्व अप्रतिहत भावो ऊतार्या छे. ते भावोनी जे प्रतीत
करे ते पोतानी मोक्ष परिणतिने लेतां वच्चे सीमंधर परमात्माने उतारे छे के हे
परमात्मा? आप पूरी परिणति पाम्या छो, अने आपने साथे राखीने अमे पण
साधकमांथी पूरा थवाना छीए... वच्चे विघ्न आववानुं नथी.. जे भावे साधकदशामां
उपड्या छीए ते ज भावे पूरुं करवाना छीए, तेमां फेर नथी–नथी–नथी... सीमंधर
प्रभुजीना “कार ध्वनिमांथी कुंदकुंद भगवान वस्तुनो स्वभाव लईने आव्या...
अने...तेनी ज कांईक प्रसादी अहीं भव्य मुमुक्षुओने पीरसाय छे...