आवो सरस अने सहज मार्ग छे. मारो ने अनंता मुक्तिगामी जीवोनो–बधायनो आ
एकज मार्ग छे. ज्यां बेठो त्यां सदाय हुं ज छुं, हुं ज्ञानस्वभाव ज छुं, मारा स्वभावमां
अंर्तमुख थईने ठरुं ते ज मारी मुक्तिनो मार्ग छे. ए सिवाय क्यांय बहार जोवुं पडतुं
नथी. केवो स्वावलंबी सरळ अने सहज मुक्तिमार्ग!! ! –आवा सहज मुक्तिमार्गे स्वय
विचरनारा अने जगतने ते पावनमार्ग देखाडनारा, हे संतो! आपना पवित्र चरणोमां