Atmadharma magazine - Ank 120
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष दसमुं, अंक पांचमो, वीर सं. २४७९ फागण (वार्षिक लवाजम ३ – ० – ०)
१२०
जागीने जाुए
एटली ज वार.
अहो! ज्यारे जुओ त्यारे एक समयमां परिपूर्ण तत्त्व अंदर
पड्युं छे, भगवान आत्मा पोताना स्वभावनी परिपूर्ण शक्तिने
संघरीने बेठो छे, तेना स्वभाव–सामर्थ्यनो एक अंश पण ओछो थयो
नथी, अने त्रणकाळमां एक समय पण ते स्वभावनो विरह नथी, पोते
जागीने अंदरमां द्रष्टि करे एटली ज वार छे.
–पू. गुरुदेव.