शुं चीज छे ते समजवानो प्रयोग तें तारा ज्ञानमां कदी एक क्षण पण न कर्यो, ने मनुष्य अवतार व्यर्थमां गुमावीने
पाछो संसारमां ज रखडयो. माटे हे भाई! हवे जागृत थईने सत्समागमे आत्मानी समजणनो प्रयत्न कर, जेथी
तारा अनादिना भवभ्रमणनो अंत आवे.
Atmadharma magazine - Ank 132
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).
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