सर्वज्ञता–वीतरागता ने पूर्णानंद प्रगट कर्योे. पछी ते भगवाननो
दिव्यध्वनि छूट्यो. ते दिव्यध्वनिमां भगवाने शुं हुकम कर्यो?
नथी, राग वडे हित नथी, माटे रागनो आदर छोडो ने ज्ञानस्वभावनो ज
आदर करो. ज्ञानस्वभावना ज आदर वडे रागनो अभाव करीने सर्वज्ञता
प्रगट करो. आ रीते सर्वज्ञ भगवाने सर्वज्ञ थवानो ज हुकम कर्यो छे.
राग नथी एटले रागना आदर वडे सर्वज्ञनो आदर थतो नथी. सर्वज्ञनो
आदर करनार जीव रागनो आदर करे ज नहि. रागथी जे धर्म माने छे
तेणे सर्वज्ञना हुकमनो अनादर कर्यो छे; ने जे जीवे पोताना
ज्ञानस्वभावनी सन्मुख थईने सम्यक्श्रद्धा–ज्ञान प्रगट कर्या छे ते जीव
सर्वज्ञ थवाना मार्गे चड्यो छे, ने तेणे ज खरेखर सर्वज्ञदेवनो हुकम
मान्यो छे. ते जीव जरूर अल्पकाळमां सर्वज्ञ थशे.