वर्ष तेरमुं : सम्पादक: वैशाख
अंक सातमो रामजी माणेकचंद दोशी २४८२
अनाथना नाथनो अवतार
अहा! धन्य ते वैशाख सुद बीज... अने धन्य ते उमराळा
नगरी... के ज्यां माता उजमबाए कहानकुंवर जेवा धर्मरत्नने
जन्म आपीने भारतना अनाथ आत्मार्थीओने सनाथ कर्या... ए
मंगल जन्मनी आजे ६७ मी वधाई छे!
आखुं भारत जाणे के भूलुं पडी गयुं हतुं... ने... संतनी
छाया विना अनाथ बनी गयुं हतुं... एवा समये भूला पडेला
आत्मार्थी जीवोनो उद्वार करवा पू. गुरुदेवनो अवतार थयो... श्री
तीर्थंकर भगवंतोना अप्रतिहतमुक्तिमार्गमां स्वयं निःशंकपणे
विचरता थका पू. गुरुदेव आत्मार्थी जीवोने पण ए मार्गे दोरी
रह्या छे के हे मोक्षार्थी जीवो! तीर्थंकर भगवंतो जे मार्गे मुक्त थया
ते मार्ग आ ज छे... आ सिवाय बीजो कोई मुक्तिनो मार्ग छे ज
नहि. तमे निःशंकपणे आ मार्गे चाल्या आवो.
जेमनो जन्म भव्यजनोने आनंदकारी छे एवा पू. गुरुदेव
जयवंत वर्तो!
वार्षिक लवाजम छूटक नकल
त्रण रूपिया चार आना
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)