Atmadharma magazine - Ank 153
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष तेरमुं ः सम्पादकः अषाढ
अंक नवमो रामजी माणेकचंद दोशी २४८२
भगवानने नमस्कार
अहो
भगवान!
स्वाश्रय वडे ज्ञानसंपदाने
पाम्या, अने स्वाश्रय वडे
ज्ञानसंपदानी प्राप्तिनो ज उपदेश
आपे अमने आप्यो. अमे ते उपदेश
झीलीने... ज्ञानसंपदा तरफ झूकीने... आपने
नमस्कार करीए छीए, आपना पंथे आवीए
छीए....... – आ सिवाय बीजो कोई मार्ग नथी.
–पू. गुरुदेव.
[वीर सं. २४८१ असाड सुद ६ः
प्रवचनसार गा. ८२ ना प्रवचनमांथी]
वार्षिक लवाजम (१प३) छूटक नकल
त्रण रूपिया चार आना
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)