Atmadharma magazine - Ank 153
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
६७शाह वाडीलाल जीवराज, राणपुर
६७शेठ भगवानजी कचराभाई,कीटाले
६७देवचंद परसोत्तम महेता
हा.धीरजलाल, राजकोट
६७हेमकुंवरबेन नरभेराम, जमशेदपुर
६७जमशेदपुर मुमुक्षु मंडळ, जमशेदपुर
६७भायाणी वृजलाल फूलचंदना
मातुश्री धनीबाई,
लाठी
६७टोळिया शांताबेन गुलाबचंद, मुंबई
६७कान्तिलाल चुनीलाल हा.लक्ष्मीबेन,मुंबई
६७स्व.गंगाबेन माणेकचंद छगनलाल,ध्रांगध्रा
२प२।।। रूा. ६७ नीचेनी रकमो (भायाणी हरिलाल
जीवराज, जगजीवन करसनजी,
अजवाळीबेन रतिलाल, समरत
भीखाभाई,लाभुबेन, परभाबेन
चंपकलाल, मंगुबेन, सुभद्राबेन,
हिंमतलाल शीवलाल, चंपाबेन,
झवेरीबेन,जटुभाई वैद्य,मीठालाल
रूपचंद, सविताबेन शीवलाल.
–––––––––––
८४३८८
।। (चोर्यासी हजार, त्रणसो ने साडी अठयासी
रूपिया)
– वैशाख सुद पूनम सुधी.
पू. गुरुदेवनो ६७ मो जन्मोत्सव
* * * * *
अनेक आत्मार्थी जीवोना जीवन–आधार, अने भवभ्रमणथी थाकी गयेला जीवोना विश्रामस्थान एवा
परमपूज्य कहानगुरुदेवनो ६७मो मंगल–जन्मोत्सव आ वैशाख सुद बीजे विविध उल्लास अने भक्तिपूर्वक
ऊजवायो हतो.
वहेली सवारमां ६७ दीपकोना झगमगाटथी चारे दिशामां प्रकाश फेलायो, मंगल घंटनाद थया.....वाजिंत्रो
वाग्यां.......ने ए रीते जन्मोत्सवनी वधाई मळतां ज भक्तमंडळ देवगुरुना दर्शन करवा आव्युं. उलटभेर जन्मनी
वधाई गातां गातां स्वाध्यायमंदिरने त्रण प्रदक्षिणा करी ने गुरुदेवना दर्शन–स्तुति करीने आनंदथी जयजयकार
कर्या. त्यारबाद जिनमंदिरमां पूजन अने पछी ‘प्रवचन–यात्रा’ नीकळी हती. प्रवचन बाद ६७ मा जन्मोत्सव
निमित्ते केटलीक रकमो ‘जिनमंदिर जन्मोत्सव फंड’ मां जाहेर करवामां आवी हती.–जेनी विगत आ अंकमां आपी
छे. अने देश–परदेशथी भक्तजनोना जन्मोत्सवनी खुशालीना तथा पू. गुरुदेव प्रत्ये भक्तिभर्या अभिनंदनना
अनेक संदेशाओ आवेला ते संभळाववामां आव्या हता, अने पू. गुरुदेवना महान उपकारो व्यक्त करीने
जन्मोत्सवनो महिमा प्रसिद्ध करवामां आव्यो हतो. बपोरना प्रवचन पछी भक्ति स्वाध्यायमंदिरमां ज घणा
उल्लासपूर्वक थई हती, जन्मोत्सवनी वधाई तथा “वाहवाजी वाहवा” नी धून वगेरे भक्तिथी भक्तजनोने घणो
आनंद थयो हतो. सांजे ६७ दीपकोथी जिनमंदिरमां आरती थई हती अने रात्रे स्वाध्यायमंदिरमां तथा आश्रममां
दीपकोनी रोशनी थई हती. आम विविध आनंद अने उमंगथी गुरुदेवनो जन्मोत्सव उजवायो हतो. भव्य जीवोना
परम हितकारी पूज्य गुरुदेव जयवंत वर्तो!
“समाधिशतक”
परमपूज्य गुरुदेवना प्रवचनमां श्री प्रवचनसार वंचातुं हतुं ते वैशाख सुद १४ ना रोज पूर्ण थयुं छे. अने
वैशाख वद एकमथी श्री समाधिशतक उपर प्रवचनो शरू थाय छे. समाधिशतक ए महा समर्थ आचार्यश्री पूज्यपाद
स्वामीए रचेल वैराग्यपूर्ण सुंदर अध्यात्मशास्त्र छे. अने तेना उपर पू. गुरुदेवना अध्यात्मभावनाथी भरेला
प्रवचनो चाली रह्या छे. बपोरना प्रवचनमां श्री समयसारजी (अगीयारमी वखत) वंचाय छे.
मुद्रकः जमनादास माणेकचंद रवाणी, अनेकान्त मुद्रणालयः वल्लभविद्यानगर (गुजरात)
प्रकाशकः श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, वल्लभविद्यानगर (गुजरात)