Atmadharma magazine - Ank 160
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४८३ आत्मधर्म : १९ :
सम्यग्द्रष्टे,
आप तो सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान आदि रत्नों से वैभवशाली है। हमारे पास ऐसी कोई वस्तु नहीं
जिससे आपका उचित सत्कार और सेवा कर सकें, फिर भी भावनावश केवल विनयपूर्ण–पत्र–प्रसून
लेकर आपके श्रीचरणों में भेट करने खडे़ हुए हैं। आशा है आप हमारी त्रुटियों की ओर ध्यान न देकर
अपने विशाल हृदय में इस संस्था को भी स्थान देने की कृपा करेंगे।
हम हैं आपके अनुगृहीत–––
आगरा अध्यक्ष, सदस्यगण, अध्यापक और विद्यार्थी
१२–२–१९५७ श्री महावीर दिगम्बर जैन, कालेज
एवं
सकल दिगम्बर जैन समाज, आगरा।
भारत क सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक सन्त
आत्मार्थी सत्पुरुष पूज्य श्री कानजी स्वामी
के
कर–कमलों में सादर समर्पित
अभनन्दन पत्र
पूज्यश्री,
आज उत्तर भारत के इस परम पुनीत अतिशय क्षेत्र फीरोजाबाद नगर में आप जैसे परम
उपकारी, जिनभक्त, प्रवचन–कला–मर्मज्ञ एवं अध्यात्मरसिक का दर्शन–लाभ कर हम परम आह्लाद का
अनुभव कर रहे हैं। स्वागत के साधन, सामर्थ्य एवं क्षमता में अकिञ्चन होते हुये भी हम आपका
अभिनन्दन करते हुये अपने को अत्यन्त ही गौरवान्वित अनुभव करते हैं।