Atmadharma magazine - Ank 160
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(English transliteration).

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varSha chaudamun sampAdak mAh
ank chotho rAmajI mANekachand doshI 2483
AgrAmAn mahAvIr digambar jain kolejanA ek adhyApakashrIe gAyel abhinandan kAvya
सन्तप्रवर श्री कानजीस्वामी अभिनन्दन
शब्दावली कुछ है नहीं जो स्बागतार्थ प्रयुक्त हो।
रहते धरा पर भी अहो तुम दिव्य जीवन मूल हो।
है पुन्य दर्शन अमृत उपदेशक तुम्हें साक्षात्कर।
जीवन नया हमको मिला है हो गए कृतकृत्यतर।

१२–२–५७
श्रद्धावनत
श्री महावीर दिगम्बर जैन कोलेज परिवार आगरा।