Atmadharma magazine - Ank 166
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
दस लक्षण धर्म
दंसण मूलो धम्मो
भादरवा सुद प थी १४ सुधीना दस दिवसोने “दसलक्षनी
पर्व” कहेवाय छे; सनातन जैन शासनमां एने ज “पर्युषण पर्व”कहे
छे. शास्त्रोमां तो आ दसलक्षणी पर्व वर्षमां त्रण वार आववानुं वर्णन
छे, परंतु वर्तमानमां भादरवा मासमां ज तेनी प्रसिद्धि छे, वीतरागी जिनशासनमां आ धार्मिक
पर्वनो अपार महिमा छे. प्रसिद्ध उत्तम क्षमादि दस धर्मो, जो के मुख्यतः मुनिओना धर्मो छे, तोपण
गृहस्थ–श्रावकोने पण सम्यग्दर्शनपूर्वक ते धर्मोनी आराधना आंशिकरूपे होई शके छे. (विशेष
समजण माटे पू. गुरुदेवना “दसलक्षणधर्म–प्रवचनो” वांचवा भलामण छे.)
मुद्रकः हरिलाल देवचंद शेठ, आनंद प्रिन्टींग प्रेस, भावनगर
प्रकाशकः स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टवती हरिलाल देवचंद शेठ– भावनगर
* प र्यु ष ण स्त व न *
रूडा पर्युषण दिन आज दीपता रे.....
श्री दशलक्षणाधिराज..... रूडा
आज रत्नत्रय दिन दिपता रे.....
सौ रत्नत्रय प्रगट करो आज.....रूडा
शुक्लध्याने जिनेश्वर लीन थया रे.....
एवी लीनता करवानो दिन आज..... रूडा
धर्मध्याने मुनिवरो राचता रे.....
भव्योने देखाडे ए राह..... रूडा
क्षमा निर्लोभता आदि गुणमां रे.....
रमी रह्या जिनेश्वर देव..... रूडा
आ अष्टमी चतुरदशी दिनमां रे.....
थया पुष्पदंत वासुपूज्य सिद्ध..... रूडा
एवा निर्मळ दिवस छे आजना रे.....
सहु निर्मळ करो आत्मदेव..... रूडा
प्रभु वीर ए मार्ग बतावीयो रे.....
कुंदकुंदे रोप्या राजथंभ..... रूडा
कहान गुरुए कादवमांथी काढिया रे.....
चडाव्या ए राजमार्ग द्वार..... रूडा
सीमंधरना नाद कुंद लावीया रे.....
रणशींगा वगाडया भरतमांय....रूडा
गुरुकहाने रणशींगा सांभळ्‌या रे...
वगाडनार ए छे कोण..... रूडा
गुरु कहाने ए कुंदकुंद शोधिया रे....
शोधी लीधो शासननो थंभ...रूडा
गुरु कहाने भरतने जगाडियुं रे.....
जागो! जागो! ए ऊंघता अंध...रूडा
गुरु कहाने चिदात्म बतावीओ रे...
रोप्या छे मुक्तिकेरा थंभ..... रूडा
एवा शासनस्तंभमारा नाथ छे रे.....
तेने जोई जोई अंतर ऊभराय..... रूडा
गुरु–हदये जिनेश्वर वसी रह्या रे.....
गुरुना शिरे जिनेश्वरनो हाथ..... रूडा
प्रभु सेवक रत्नत्रय मागता रे.....
ए तो लळी लळी लागे पाय.....
रूडा पर्युषण दिन आज दीपता रे