Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष १६ मुं
अंक २ जो
मागशर
वी. सं. २४८प
ः संपादकः
रामजी माणेकचंद शाह
१८२
मोक्षनी खाण
आत्माना धु्रवस्वभावथी बहारमां
वलण ते संसारनी खाण छे, ने आत्मानो
धु्रवस्वभाव ते मोक्षनी खाण छे; माटे हे
जीव! बाह्य पदार्थोथी अत्यंत भिन्नता
जाणीने तारा चिदानंद धु्रवस्वभावमां
एकता कर, धु्रवस्वभावनी खाणमां ऊंडा
ऊतरीने तेमांथी तारा मोक्षरत्नने काढ.