Atmadharma magazine - Ank 189
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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अभिनंदनपत्रो बाबत
सम्मेदशिखरजी यात्रा अने दक्षिणयात्रा दरमियान देशोदेशनी
जनताए गुरुदेवनुं घणा प्रेमथी स्वागत कर्युं अने ठेर ठेर गुरुदेवने
अभिनंदनपत्रो आप्या. लगभग प० शहेरोना जैनसमाज तरफथी
गुजराती, हिंदी, संस्कृत, तामील के ईग्लीश भाषामां कुल ६७ जेटला
अभिनंदनपत्रो अर्पण थया. आमांथी केटलांक अभिनंदनपत्रो
आत्मधर्ममां प्रसिद्ध थई चूक्यां छे ने बाकीनां पण क्रमेक्रमे प्रसिद्ध थशे. आ
अभिनंदनपत्रो संबंधमां एक खुलासो करवानो छेः देशोदेशनी जनताए
पू. गुरुदेव प्रत्ये केटलुं सन्मान अने प्रेम बतावेल छे,–तेओनी लागणीनो
जिज्ञासु वांचकोने कंईक ख्याल आवे ते माटे आ अभिनंदनपत्रो प्रसिद्ध
कर्यां छे, एटले कोई कोई अभिनंदनपत्रोना लखाणमां कांईक फेरफार होय
तो पण ते प्रसिद्ध करेल छे, ए वात ध्यानमां राखीने फकत ते ते नगरीना
जैनसमाजनी लागणी ख्यालमां आवे ते लक्षे आ अभिनंदनपत्रो
वांचवानी भलामण करवामां आवे छे. जे जे गामोथी गुरुदेवने
अभिनंदनपत्रो अपाया तेनी यादी नीचे मुजब छे. –
शिखरजीयात्राः मांगीतुंगी, इन्दोर, मदनगंज–किसनगढ, आग्रा,
कानपुर, ग्वालीअर, लश्कर, फीरोझाबाद, डालमिआनगर, गया, आरा,
राजगृही, भागलपुर, हस्तिनापुर, दिल्ही, भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिषद
तरफथी, कलकत्ता, सहारनपुर, कुचामनसीटी, अलीगढ, लाडनू, जयपुर,
शिवगंज, जावाल, अमदावाद.
दक्षिणयात्राः मद्रास, पोन्नुर, कांचीवरम, तिरुप्परुत्तिकुन्नम,
वांदेवास, शैलपुर, रीन्द, मलकापुर, कोटा, पनागर, मलहरा, द्रोणगिरि,
टीकमगढ, सागर, शाहपुर, आहारजी, शीरपुर, डुंगरगढ, जबलपुर,
खेरागढ, उदयपुर, तलोद, रखियाल, सोनासण, फत्तेपुर, दाहोद, दक्षिण
भारतना जैनो, इत्यादि.
एकवार (ता. १४–३–प९ना रोज) तो एक ज दिवसमां
छे छ अभिनंदनपत्रो अपाया हता, अने ते पण एवी जनता
तरफथी के जे जनता गुजराती तो शुं परंतु हिंदीभाषा पण
जाणती न हती. आ बधा लेखित अभिनंदनपत्रो उपरांत
भाषणद्वारा के काव्योद्वारा ठेर ठेर जे अभिनंदन अपाया तेनी तो
गणतरी थई शके तेम नथी.