ऊंचा श्री आदिनाथप्रभुना विशाळ
चरणकमळमां पू. गुरुदेव भक्तिपूर्वक ऊभा छे.
साथे अनेक भक्तो भावपूर्वक आदिनाथप्रभुनां
दर्शन करी रह्या छे.
Atmadharma magazine - Ank 189
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).
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