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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
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अाध्यात्मिक सन्त श्रीमान् कानजीस्वामी
की सेवा में
सादर समर्पित
अभिनंदन पत्र
अध्यात्म सन्त!
भगवान कुन्दकुन्दाचार्य प्रणीत अध्यात्म शास्त्रों के अनुमनन से आपने शुद्धात्मतत्त्व
के कथन में जो आदर्श उपस्थित किया है वह वास्तव में अति श्लाधनीय है।
अध्यात्म रस पूर्ण आपके प्रवचनों का श्रोत्रु समाज पर शान्त रस का गहरा असर
हुए बिना नहीं रहता।
महानुभाव!
आपने स्वयं अपने को तथा लाखों सहधर्मी बन्धुओं को दिगम्बर जैन धर्म में
परिवर्तित कर जो अपनी श्रद्धा को साकार रूप दिया है वह आपकी महान द्रढ निश्चयता
का द्योतक है, सौराष्ट्र प्रान्त में आपके द्वारा हो रही दिगम्बर जैन धर्म की प्रभावना आपकें
प्रौढ धर्माधिकारित्व को प्रकट करती है।
सफल प्रवक्ताः–
इतर प्रांतीय आपकी ससंघयात्रा से जैन समाज को आपके दर्शन प्रवचन और
अध्यात्मवाद के ज्ञान करने का जो लाभ हो रहा है वह चिरस्मरणीय रहेगा।
श्रद्धेय स्वामीजी और यात्रासंघ में आये सौराष्ट्र और गुजरातवासी अपने धर्मबन्धुओं
की अनुकरणीय तीर्थ भक्तता एवं धर्मवत्सलता को देखकर हम लोग अत्यन्त प्रभावित
और पुलकित है।
अन्त में हम अध्यात्मिक संत स्वामीजी का पुनः पुनः अभिनन्दन करते हुए उनके
प्रति श्रेयो मार्ग की उभयत; अभिवृद्धि की कामना श्री जिनेश से करते हैं तथा “भूयात्
पूनदर्शन” की भावना करते है।
हम है आपके विनीतः–
समस्त दि० जैन समाज टीकमगढ
एवम् दि० जैन क्षेत्र विद्यालय की
प्रबन्ध का० कमेटी पपौराजी
टीकमगढ
२३–४–५९
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શ્રી દિગંબર જૈન સ્વાધ્યાય મંદિર ટ્રસ્ટવતી મુદ્રક અને
પ્રકાશકઃ હરિલાલ દેવચંદ શેઠઃ આનંદ પ્રી. પ્રેસ–ભાવનગર