Atmadharma magazine - Ank 191
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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भाद्रपद २४८प अंक १९१
वि.जे.ता
अंते चैतन्यनी महत्ता पासे चक्रवर्तीने झूकवुं पडयुं
बाहुबली भगवानने एक वर्षनी अडग आत्मसाधना बाद केवळज्ञान प्रगट थाय छे–ते
प्रसंगनुं आ द्रश्य छे. भरतचक्रवर्ती अतिशय भक्ति अने विनयपूर्वक बाहुबली स्वामीनुं पूजन करी
रह्या छे. श्रवणबेलगोलनी यात्रा वखते आ चित्र जोईने गुरुदेव घणा प्रसन्न थया हता आ चित्र
साथे संकळायेल भाववाही प्रसंगनुं आलेखन ‘आदिपुराण’ना आधारे हवे पछी रजु करशुं.