बाहुबली भगवानने एक वर्षनी अडग आत्मसाधना बाद केवळज्ञान प्रगट थाय छे–ते
प्रसंगनुं आ द्रश्य छे. भरतचक्रवर्ती अतिशय भक्ति अने विनयपूर्वक बाहुबली स्वामीनुं पूजन करी
रह्या छे. श्रवणबेलगोलनी यात्रा वखते आ चित्र जोईने गुरुदेव घणा प्रसन्न थया हता आ चित्र साथे संकळायेल भाववाही प्रसंगनुं आलेखन ‘आदिपुराण’ना आधारे हवे पछी रजु करशुं.