चैत्र: २४८६ : १९:
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी सुंदर सगवड
श्री जैन विधार्थीगृह,
सोनगढ (सौराष्ट्र)
अत्रे उपरोक्त बोर्डींग छेल्लां ९ वर्षथी चाले छे. तेमां १० वर्षथी वधु उमरना गुजराती पमी
श्रेणीथी ११ मी श्रेणी (मेट्रीक) सुधी अभ्यास करता जैन विद्यार्थीओने दाखल करवामां आवे छे.
मासिक पूरी फीनुं लवाजम रूा. २प) तथा ओछी फीनुं लवाजम रूा. १प) लेवामां आवे छे.
अत्रे मेट्रिक (एस.एस.सी.) सुधीना अभ्यास माटे हाईस्कुल छे.
विद्यार्थीओने रहेवा माटे संस्थानुं स्वतंत्र, विशाळ, हवा–उजासवाळुं सुंदर मकान छे.
संस्थामां रहेता विद्यार्थीओने दररोज नियमित पोणो कलाक श्री जैन दर्शननो धार्मिक अभ्यास
कराववामां आवे छे. उपरांत रजाना दिवसोमां विद्यार्थीओने जिनमंदिरमां समूहपूजननो तेमज पूज्य
श्री कानजीस्वामीनां तत्त्वपूर्ण व्याख्यान–श्रवणनो अने भक्ति विगेरेनो अमूल्य लाभ मळे छे.
आथी जे विद्यार्थीओने आ संस्थामां अभ्यास अर्थे दाखल थवा ईच्छा होय तेमणे ता. २प–४–
६० सुधीमां ०–१प न. पै. नी पोष्टनी टीकीटो बीडी प्रवेशपत्र, धाराधोरण अने नियमो मंगावी ते
विगतवार भरी पोताना वार्षिक परीक्षाना परिणाम साथे ता. २०–प–६० सुधीमां परत मोकलवां. ते
पछी आवेल प्रवेशपत्रो स्वीकारवामां आवशे नहि.
ली.
(सही) मोहनलाल काळीदास जसाणी
मोहनलाल वाघजी महेता
(करांचीवाळा)
मंत्रीओ, श्री न विद्यार्थीगृह–सोनगढ (सौराष्ट्र)
“आत्मधर्म” नुं भेट पुस्तक
स....म्य....ग्द....र्श....न
(पुस्तक बीजुं)
सम्यग्दर्शन संबंधी विविध लेखोनो संग्रह धरावतुं आ बीजुं पुस्तक
प्रसिद्ध थयुं छे. जिज्ञासुओने आ पुस्तक बहु उपयोगी छे. जेमना हृदयमां
सम्यग्दर्शननो अने सम्गग्धारक संतोनो परम महिमा निरंतर वर्ती रह्यो
छे.....अने समकिती संतोनी महामंगल छायामां जेओ निरंतर सम्यक्त्वनी
भावना भावी रह्या छे...एवा साधर्मीओने आ पुस्तक समर्पण करवामां आव्युं
छे. जुदा जुदा पांच भाईओनी सहायताथी आ पुस्तक आत्मधर्मना चालु
वर्षना ग्राहकोने भेट आपवामां आवशे. थोडा दिवसोमां पुस्तको तैयार थतां
संगाथ मारफत सोनगढथी दरेक गाम पहोंचाडवा प्रयत्न थशे, अथवा तो
ग्राहकोए संगाथ मारफत सोनगढथी आ पुस्तक मेळवी लेवा व्यवस्था करवी.
पृष्ठ संख्या: १६६ संग्रहकार: ब्र हरिलाल जैन
प्राप्तिस्थान: श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर–सोनगढ (सौराष्ट्र)