Atmadharma magazine - Ank 199
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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: २ : आत्मधर्म: १९९
* आ अंकना आभूषणो *
गुरुदेवना आंगणे सीमंधर भगवान...
जन्मधामनो मंगल स्वस्तिक......
धर्मात्मानो योग......
‘स्वयंभू’ आत्मानी मंगलमाळा: ७१ पुष्पनी.....
फत्तेपुरमां आत्मानी फत्तेह थाय तेवी वात.....
अनुभवदशानुं वर्णन अने तेनो उपाय.......
* साधक जीव पोताना आंगणे सिध्धभगवानने पधरावे छे....
* पांच भाषामां अभिनंदन पत्रो....
(संस्कृत, तामिल, ईंग्लीश, हिंदी, गुजराती)
हे सीमंधर भगवान! हे गणधरो! हे संतो!
हे कुंदकुंदप्रभु! हे विश्वना सर्वे धर्मात्माओ!
मारा आंगणे पधारो....पधारो....!
हे कुंदकुंदादि वीतरागी संतो! अतीन्द्रिय आनंदमय
तमारा निर्विकल्प आत्मध्यानने
नमस्कार हो...नमस्कार हो.
(उमराळाना ‘उजमबा जैन स्वाध्यायगृह’ मांथी)
‘आत्मधर्म’ अंक १९८ मां सुधारो
पानुं ४ कोलम १ लाईन १ मां “परिभ्रमण करवा आत्माने”–एम छपायुं छे तेने बदले
“परिभ्रमण करता आत्माने” एम सुधारवुं.
पानुं १२ कोलम २ छेल्ली लाईनमां मोह लक्ष्मी ने बदले मोक्ष बदली वांचवुं.
पानुं १२ कोलम २ लाईन ३० मां दीक्षारूपी सखीने पामीने एम वांचवुं.
जैन दर्शन शिक्षण वर्ग
उनाळानी रजाओ दरमियान विद्यार्थीओ माटे सोनगढमां जैन दर्शन शिक्षण वर्ग वैशाख सुद
१४ ने मंगळवार ता. १०–प–६० थी शरू थशे अने जेठ सुद ६ ने मंगळवार ता. ३१–प–६० सुधी
चालशे. आ शिक्षणवर्ग चार वर्ष बाद खुल्ली रह्यो छे. जिज्ञासु विद्यार्थीओ धार्मिक शिक्षणनो लाभ
लईने रजाओनो सदुपयोग करे–एवी खास भलामण छे. विद्यार्थीओ माटे रहेवा–जमवानी व्यवस्था
संस्था तरफथी थशे. वर्गमां आवनार विद्यार्थीओए नीचेना सरनामे खबर आपी देवा ने वखतसर
सोनगढ आवी जवुं. –दि. जैन स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ (सौराष्ट्र)