Atmadharma magazine - Ank 203
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Reg. No. B. 4787
आराधनानुं पर्व
आ ‘दसलक्षणी पर्व’ ना दिवसो ते खरेखर
आराधनाना दिवसो छे. रत्नत्रयधर्मनी विशेषपणे
परिउपासना करवा माटेना आ धर्मदिवसोने सनातन
जैन शासनमां ‘पर्युषण पर्व’ कहेवाय छे...आराधनाना
आ महापवित्र पर्वनो अपार महिमा छे. जेम नंदीश्वर
अष्टाह्निका भक्तिप्रधान पर्व छे तेम आ दशलक्षणी पर्व
आराधनाप्रधान छे.
हे जीवो! तमारी सर्वशक्तिने रत्नत्रयनी आराधनामां जोडो.
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टवती मुद्रक अने
प्रकाशक : हरिलाल देवचंद शेठ : आनंद प्रि. प्रेस–भावनगर