Atmadharma magazine - Ank 214
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष अढारमुं : अंंक १० मो संपादक : भानुभाई मुळजीभाई लाखाणी श्रावण मास : २४८७
सफळ जन्म
आ संसारमां कोनो जन्म सफळ छे?
देहथी भिन्न चिदानंद तत्त्वने सम्यक् प्रकारे जाणीने तेनी जे भावना
करे छे तेनो जन्म सफळ छे. मुनिराज श्री पद्मप्रभस्वामी नियमसार कलश
९९ मां कहे छे के:–
मुक्त्वा कायविकारं यः शुद्धात्मानं मुहुर्मुहुः ।
संभावयति तस्यैव सफलं जन्म संसृतौ ।।
कायविकारने छोडीने जे फरीफरीने शुद्धात्मानी संभावना (एटले के
सम्यक् भावना) करे छे, तेनो ज जन्म संसारमां सफळ छे. पहेलां तो कायाथी
भिन्न चिदानंद स्वरूपनुं भान कर्युं छे, ते उपरांत कायाथी उपेक्षित थईने
वारंवार अंतरमां शुद्धात्मानी सन्मुख थईने तेनी भावना भावे छे, ते
धर्मात्मानो अवतार सफळ छे. तेणे जन्मीने आत्मामां मोक्षनो ध्वनि
प्रगटाव्यो, आत्मामां मोक्षना रणकार प्रगट कर्यां...तेथी तेनो जन्म सफळ छे.
अज्ञानपणे तो अनंत अवतार कर्या ते बधा निष्फळ गया, तेमां आत्मानुं
कांई हित न थयुं. आ अवतारमां चिदानंद स्वरूप आत्मानुं भान करीने
आत्मानुं हित कर्युं तेथी धर्मीनो अवतार सफळ छे.
(पू. गुरुदेवना प्रवचनमांथी)
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