Atmadharma magazine - Ank 221
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 19 of 21

background image
: २० : आत्मधर्म : २२१
पलक्षमां शेठ श्री चुनीलाल हठीसंग तरफथी आखा संघनुं वात्सल्यभोजन राखवामां
आव्युं हतुं. बपोरे प्रवचन पछी अद्भुत भक्ति थई हती.
गई काले (माह वद १३ ने रविवारे) डो. चीटनीस साहेबे तथा डो. मनसुखभाई
शाहे गुरुदेवनी आंख तपासीने संपूर्ण संतोष व्यक्त कर्यो हतो, अने डो. चीटनीस साहेबे
कह्युं हतुं के जमणी आंख डाबी आंख करतां पण वधु सारुं काम करी शकशे. आ रीते
गुरुदेवनी बंने आंखोए संपूर्ण आराम थवाथी समस्त जिज्ञासु समाजने हर्ष थयो हतो.
अने घणी ज चीवटपूर्वक सफळताथी आ कार्य करी आपवा बदल बंने डोकटर साहेबो
प्रत्ये आभार प्रदर्शन करवा माटे बपोरे सभा राखवामां आवी हती. शरूआतमां विद्वान
भाईश्री हिंमतलाल जे. शाहे पोतानी सुमधुर शैलीथी बंने डोकटर साहेबोनो परिचय
आपीने आभार मान्यो हतो. त्यारबाद प्रमुख साहेबना हस्ते डो. चीटनीस साहेबने
चांदीना वासणोना सेट भेट अपाया हता अने डो. मनसुखभाईए बीजी कोई चीज भेट
लेवानी ना पाडतां छेवटे पू. गुरुदेवनो फोटो (चांदीनी फ्रेममां) भेट आपवामां आव्यो
हतो. आभारविधिना प्रत्युत्तरमां चीटनीस साहेबे कह्युं के पहेलां तो हुं अहीं एक पराया–
अजाण्या माणस तरीके आव्यो हतो परंतु हवे हुं पण तमारामांनो ज एक छुं; अने आप
सौ मने तमारामांनो ज एक गणशो तो मने आनंद थशे. डो. मनसुखभाई शाहे पण पू.
गुरुदेवना सत्समागमनो लाभ लेवानी पोतानी भावना व्यक्त करी हती.
हालमां सोनगढमां (माह वद १० थी शरू करीने) “अढीद्वीप मंडलविधान” नुं
पूजन उत्साहपूर्वक चाली रह्युं छे. आ मंडलविधानमां अढीद्वीपना जिनालयोनुं, तेमज
अढीद्वीपनी त्रीस चोवीसीना तीर्थंकर भगवंतोनुं (पांच भरत, पांच ऐरावत ए दस
क्षेत्रनी भूत–वर्तमान–भावि चोवीसीना तीर्थंकर भगवंतोनुं) अने विदेहक्षेत्रना तीर्थंकरो
वगेरेनुं पूजन छे. आ पूजनविधान पू. बेनश्री चंपाबेन तथा पू. बेन शांताबेन तरफथी
कराववामां आव्युं छे.
सोनगढ जिनमंदिरमां एक सुंदर चांदीनी गंधकूटी रथयात्रा तेमज अभिषेक माटे
भेट आपवामां आवेल छे.
* * * * * *
फागण वद ९ ना रोज भगवान श्री आदिनाथ ऋषभदेव तीर्थंकरना
जन्मकल्याणकनो दिवस छे. भारतभरना जैनसमाजमां आ दिवस चैत्रसुद तेरसनी माफक
ऊजववानुं शरू थयुं छे.
आवता चैत्र मासमां सोनगढना मानस्तंभनी प्रतिष्ठाने दसमुं वर्ष बेसे छे. आ
प्रसंगे मोटो मंच बांधीने मानस्तंभनो महा अभिषेक करवानुं नक्की थयुं छे. जेम
बाहुबली भगवाननो दर बार वर्षे महा मस्तक अभिषेक घणा मोटा उत्सवपूर्वक थाय छे
तेम आ गगनविहारी मानस्तंभ भगवाननो दसवर्षिय महा अभिषेक पहेली ज वार
घणा उल्लासपूर्वक थशे....ने ठेठ उपर जईने मानस्तंभनी यात्रा करतां आनंद थशे.
* * * * * *
फागण सुद ८ थी १प सुधी नंदीश्वर अष्टाह्निका पर्व छे.
* * * * * *
माह वद १४ थी पू. गुरुदेवना बंने वखतना प्रवचनो तेमज रात्रिचर्चा अने
भक्ति वगेरे कार्यक्रमो नियमित चाली रह्या छे. सवारे प्रवचनमां मोक्षमार्ग प्रकाशक
वंचाय छे. बपोरे समयसार–संवर अधिकार वंचाय छे.