Atmadharma magazine - Ank 222
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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भले सो ईन्द्रोना तुज चरणमां शिर नमता,
भले ईन्द्राणीनां रतनमय स्वस्तिक बनता;
नथी ए ज्ञेयोमां तुज परिणति सन्मुख जरा
स्वरूपे डुबेला नमन तुजने ओ जिनवरा.