Atmadharma magazine - Ank 223
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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पू. गुरुदेवना जन्म धाममां बिराजमान परम उपकारी श्री सीमंधर भगवान
स्वरूप रुचिवंतनी भावना
जेओ स्वरूपनगर वसता, काळ आदि अनंत;
भावे, ध्यावे अविचलपणे, जेहने साधु संत;
जेनी सेवा सुरमणि परे, सौख्य आपे अनंत;
एवा म्हारा
हृदयकमळे, आवजो श्री जिनेन्द्र.