Atmadharma magazine - Ank 228a
(Year 19 - Vir Nirvana Samvat 2488, A.D. 1962)
(Devanagari transliteration).

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वरघोडानुं द्रश्य (बीजुं)










वरघोडामां प्रथम पुरुषो चालता हता–त्यार पछी बेनोनी पंक्तिओ शरू थाय छे. सौथी आगळ पूज्य
भगवती बेनो श्री चंपाबेन तथा श्री शांताबेन छे, त्यार पछी चौद कुमारी बेनो छे. तेओए हाथमां मंगल
द्रव्यो लीधां छे. सौ बेनो आजनो महान प्रसंग गणे छे. ने जिनेन्द्र भगवाननां स्तवन गाती गाती जई
रही छे. आजना प्रसंगे चौदे बेनोए केसरी पटावाळी सफेद साडीओ पहेरी छे.
श्री जिनेन्द्र स्तवन.
एक तुम्ही आधार हो जगमें, अय मेरे भगवान
कि तुमसा ओर नहीं बलवान.
सम्हल न पाया गोते खाया, तुम बीन हो हैरान
कि तुमसा ओर नहीं गुणवान.
आया समय बडा सुखकारी आतम बोध कला विस्तारी;
मैं चेतन तन वस्तु न्यारी स्वयं चराचर झलकी सारी;
निज अंतरमें ज्योति ज्ञानकी अक्षय निधि महान
कि तुमसा ओर नहीं भगवान. (१)
दुनियामें एक शरण जिनंदा, पाप पुण्यका बूरा फंदा,
मैं शिवभूप रूप सुखकंदा ज्ञाताद्रष्टा तुमसा बंदा;
मुज कारज के कारण तुमहो और नहीं मतिमान
कि तुमसा ओर नहीं भगवान. (२)
सहज स्वभाव भाव अपनाउं पर परिणतिसे चित्त हटाउं,
पुनी पुनी जगमें जन्म न पाउं, ‘सिद्ध समान स्वयं बन जाउं;
चिदानंद चैतन्य प्रभुका है सोभाग्य प्रधान........
कि तुमसा ओर नहीं भगवान. (३)