प्रमोद अने भक्तिपूर्वक गदगदवाणीथी
गुरुदेवे कह्युं के: आहा! जो भावलिंगी
संतमुनि मळे ने चैतन्यना अतीन्द्रिय
संभळावता होय तो एनां चरण पासे
बेसीने,... अरे! एनां पगनां तळीयां
Atmadharma magazine - Ank 238
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).
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