Atmadharma magazine - Ank 240
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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स्वाध्याय भवननो उद्घाटन समारोह
सोनगढमां गोगीदेवी–ब्रह्मचर्याश्रममां बहेनोना स्वाध्याय–वांचन माटे श्री वछराजजी शेठे एक
नवुं स्वाध्यायभवन बंधाव्युं छे. आ श्री मनफूला–स्वाध्यायभवननुं उद्घाटन भादरवा वद पांचमना
रोज थयुं. आ प्रसंगे पू. गुरुदेवनुं प्रवचन स्वाध्यायभवनमां थयुं हतुं... ए वखते अमीधाराथी पाणी
अने वाणी बंने एक साथे वरसता हता... पण अंते, ए उपशांतरसभरी चैतन्य वाणी पासे पाणीए
पोतानी तूच्छता समजीने, वरसवानुं बंध कर्युं. सवारमां वरसता वरसाद वच्चे प्रवचननी तैयारी थई,
ने गुरुदेव स्वाध्यायभवनमां पधार्या. बहेनोए स्वागतगीत गाया बाद प्रवचनसार गा. १९९ तथा
२०० उपर गुरुदेवनुं सुंदर प्रवचन थयुं तेनो सार आ अंकमां आपवामां आव्यो छे. प्रवचन बाद पू.
बेनश्रीबेने एक मंगलगीत गवडाव्युं हतुं जे सामे आप्युं छे. आजे पू. गुरुदेवना आहारदाननो प्रसंग
पण आश्रममां ज थयो हतो. वळी आ मंगलप्रसंगे कृपानिधान श्री सीमंधर भगवाननी पण
गंधकूटिसहित पधरामणी करवामां आवी हती. स्वाध्यायभवनमां भगवान पधारतां सौने घणो
आनंद थयो हतो ने आखोय दिवस खूबज आनंदपूर्वक पूजन–भक्ति थया हता. आम उल्लासपूर्वक
स्वाध्यायभवननो उदघाटन प्रसंग ऊजवायो हतो.