Atmadharma magazine - Ank 241
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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ः २६ः आत्मधर्मः २४१
दिग्दर्शन कराववानो प्रयत्न थशे. आ माटे पू. गुरुदेवद्वारा उपकृत थयेला समस्त
मुमुक्षुओना सहकारनी अमे आशा राखीए छीए अने आप पण गुरुदेवना
जीवनने लगती कोई उत्तमकृति (लेख, काव्य, चित्र वगेरे) मोकलावशो एवुं हार्दिक
निमंत्रण छे.
पू. गुरुदेवना जीवननो झूकाव पहेलेथी ज आत्मशोध तरफ छे.....७प वर्ष पहेलां
उमराळामां तेओ जन्म्या त्यारे ज ‘आत्मानी शोध’ना संस्कार ने भणकार साथे लईने
आव्या हता.....नानपणथी ज तेमनो आत्मशोधनो प्रबळ प्रयत्न चालु हतो....आत्मार्थ
माटेनो पुरुषार्थ ए एमनो जीवनमंत्र हतो. ‘आत्मा’ साधवा माटे एमनुं जीवन एक
उत्तम आदर्शरूप छे....“आ जीवन छे ते आत्माने साधवा माटे ज छे”–एवी प्रेरणा
तेमना जीवनमांथी मुमुक्षुओने मळे छे.
मुमुक्षुओने तेमनो सतत धारावाही उपदेश छे के आत्मानुं वास्तविक
स्वरूप तमे ओळखो....जड–चेतननी अत्यंत भिन्नता समजीने, ते संबंधमां
चालती भूलो दूर करो....ने....साक्षात् सत्समागमे सर्व प्रकारना प्रयत्नवडे
सम्यग्दर्शन अने भेदज्ञान करो. सम्यग्दर्शननो अचिंत्य महिमा समजावीने तेना
प्रयत्न उपर तेओश्री जे भार आपे छे ते सांभळीने मुमुक्षु–आत्मार्थिना
चित्तमांथी बीजी बधी बाबतोनो महिमा ऊडी जाय छे ने एक सम्यक्त्वनी प्राप्ति
माटे ज ते दिनरात झंखे छे. एना वगरनुं बधुंय एने निष्फळ ने किंमत वगरनुं
लागे छे. मोक्षमार्गनो दरवाजो सम्यग्दर्शनद्वारा ज खूले छे....मार्ग भूलेला जीवोने
आवा मोक्षद्वार खोलवानो रस्तो जे गुरुए बताव्यो....ते गुरु प्रत्ये उपकार व्यक्त
करवानो अने हृदयनी उर्मिथी तेओश्रीने अभिनंदवानो सुअवसर प्राप्त थतां
कोने हर्ष न थाय? गुरुदेवना ७पमा जन्मोत्सव प्रसंगे सौ मुमुक्षुओ ए
अभिनंदननी उर्मिओ व्यक्त करशे ने भारतभरना मुमुक्षुसमाज तरफथी एक
सुंदर सचित्र अभिनंदन ग्रंथ प्रसिद्ध थशे.
गुरुदेवनो जन्म सौराष्ट्रना उमराळा गाममां वैशाख शुद बीजे सं. १९४६मां
थयो. आत्मशोधक ए आत्मानुं चित्त संसारमां चोंटतुं न हतुं....२४ वर्षनी उंमरे
संसार छोडीने स्थानकवासी संप्रदायमां दीक्षा लीधी....ने ते संप्रदायनुं कडक चारित्र
पाळ्‌युं....शास्त्रोनोय घणो अभ्यास कर्यो...छतां एमना आत्माने संतोष न
थयो....अंते दिगंबर जैनधर्मनुं महा परमागम समयसार हाथमां आव्युं ने तेमां
कुंदकुंदाचार्य जेवा परम दिगंबर संतोए निरुपेली स्वानुभूतिद्वारा मार्गदर्शन
मळ्‌युं....ने बीजा अनेक पावन