Atmadharma magazine - Ank 242-243
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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३४ः आत्मधर्मः २४२–२४३
ATMDHARM Reg. no. G. 82
आपे आ चित्र जोयुं? मधदरिया वच्चे वहाण चाल्युं जाय छे ने वहाण उपर पंखी बेठुं छे....आ
चित्र शुं सूचवे छे? प्रवचनसार शास्त्रमां एक गाथानी टीकामां आचार्यदेवे जे द्रष्टांत आपेल छे तेना
उपरथी आ चित्र बनाव्युं छे.....तमनेय आ वहाणमां बेसवानुं मन थइ जाय छे ने!–तो विशेष जाणकारी
माटे ‘आत्मधर्म’ना आवता अंकमां जुओ.
वैराग्य समाचार
भाईश्री बाबुभाई नानजी (मास्तर) मुंबईमां स्वर्गवास पामी गया. तेमने
गुरुदेव प्रत्ये घणो भक्तिभाव हतो, अनेक वर्षो सुधी तेओ मुश्केली भोगवीने पण
सोनगढमां रह्या हता, ने सोनगढ रहेवानी ज भावना होवा छतां धंधादारी कारणोसर
मुंबई जवुं पडयुं हतुं. छेल्ले मात्र चार दिवस तेमने ताव आव्यो, ने शरीर नबळुं थइ
जतां वात करतां करतां तेमनुं हृदय बेसी गयुं. तेमना पुत्र अनिलभाई तेमने
समवसरणस्तुति संभळावता; स्वर्गवासनी थोडी ज क्षण पहेलां तेमने (१०–४०
मिनिटे) घडियाळनो टाइम पूछयो, ने पछी भगवानना तथा गुरुदेवना फोटानी सामे
हाथ जोडतां बे मिनिटमां तेेओ देह छोडीने चाल्या गया. तेओ अखंड सत्समागम पामे
ने आत्महित साधे....ए ज भावना.
वढवाण शहेरना भाईश्री मणिलाल हरखचंद शाह ता. १२–१२–६३ना रोज
मुंबईमां केन्सरनी बिमारीथी स्वर्गवास पाम्या छे. गुरुदेव प्रत्ये तेमने भक्तिभाव हतो
अने अवारनवार सोनगढ आवीने तेओ लाभ लेता हता. मांदगी दरमियान पण
तेओ स्वाध्याय–वांचन सांभळता, टेप–रेकोर्डिग मशीनद्वारा गुरुदेवना प्रवचनो
सांभळता; अंतिम दिवस सुधी स्वाध्याय सांभळी हती, ने छेल्ले गुरुदेवना तथा
श्रीमद्राजचंद्रना फोटाना दर्शन कर्या हता. तत्त्वज्ञाननी जिज्ञासामां आगळ वधीने तेेओ
आत्महित साधे ए ज भावना.