पहाडी–चंद्रगिरि पर यात्रा करवा गया, त्यां अनेक प्राचीन मंदिरो जोया, कुंदकुंदाचार्य
वगेरे संबंधी शिलालेखो जोया, भद्रबाहुस्वामीनी गूफामां एमना सवाफूट लांबा चरणो
जोया.... दरेक ठेकाणे दर्शन–पूजन–भक्ति कर्या. बपोरे भट्टारकजीना मंदिरमां
जिनबिंबदर्शन कर्या, बाहुबलीस्वामीना जीवनचित्रो जोया. प्रवचनमां गुरुदेवे
बाहुबलिभगवाननो घणो घणो महिमा कर्यो. सांजे छ वागे यात्रासंघे
श्रवणबेलगोलथी मैसूर तरफ प्रस्थान कर्युं.
यात्रिको, रप मोटरो ने ७ बसोथी स्वागतसरघस शोभतुं हतुं. टाउनहोलमां मांगलिक
बाद, ईंग्लीशमां स्वागताध्यक्षनुं प्रवचन थयुं ने एक भाईए कन्नडभाषामां गुरुदेवनो
जीवनपरिचय आप्यो. बपोरे शहेरना मुख्य स्थळो राजमहेल, सुखडना तेलनी फेक्टरी,
झुगार्डन–प्राणीबाग वगेरे जोया. बपोरे गुरुदेवना प्रवचन वखते साथे साथेज कन्नड
भाषांतर थतुं जतुं हतुं. बीजे दिवसे सवारे मैसूरथी बेंगलोर आव्या. रस्तामां अद्भुत
भक्ति थती हती. बेंगलोरमां बपोरे प्रवचन बाद, बाहुबलिस्वामी कोतरेली सुखडनी
पेटी सहित अभिनंदनपत्र भेट अपायुं. बेंगलोरथी राणीपेठ थईने वांदेवास आव्या....
कुंदकुंदप्रभुना धाममां जतां आजे कोई अचिंत्यभक्ति थई हती.
सवारमां (ता. र६ जान्यु. १९६४) माह सुद १र–१३ना रोज पोन्नूरनी यात्रा माटे
प्रस्थान कर्युं. बांदेवासथी लगभग पांचमाईल दूर पोन्नूरपहाड (पोन्नूरमलय) छे.
आनंदथी कुंदकुंदप्रभुनी भक्ति गातांगातां गुरुदेव साथे दसेक मिनिटमां पर्वत पर
पहोंच्या. अहा! कुंदकुंदप्रभुए ज्यांथी श्रुतगंगा वहावी अने विदेहयात्रा करी एवा आ
पावनधामनी रमणीयता कोई अनेरी ज छे. चंपावृक्षनी नीचे एक श्यामशिला पर
कुंदकुंददेवना लगभग बे फूट लांबा चरणपादूका कोतरेला छे. तेनी उपर देरी अने तेनी
सन्मुख विशाळमंडप बंधायेल छे. कहानगुरु बहुज भक्ति भावथी ए परमगुरुना
पावन चरणोने भेट्या.... भावपूर्वक चरणस्पर्शन कर्युं; ने पछी पूजन थयुं.
आसपासना अनेक गामो जैनवस्तीथी भरपूर छे, त्यांथी अनेक यात्रिको आ
यात्राउत्सवमां आव्या हता. पर्वत उपर पांच हजार जेटला यात्रिको भेगा थया हता, ने
यात्रासंघनी कुंदकुंदप्रभु प्रत्येनी भक्ति देखीने प्रसन्न थता हता. पूजन बाद गुरुदेवे
कुंदकुंद प्रभुनी भक्ति गवडावी:– “मन लाग्युं रे कुंदकुंददेवमां” ए स्तवन