Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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दक्षिणयात्रामां गयेला त्यारे टूम्कुर नामना गामना जिनमंदिरमांथी लखेल उपरनो
महा मंत्र आत्मधर्मना गतांकमां आप्यो हतो... ए हतो णमोक्कार मंत्र–
ओम्
णमो अरहंताणं।
णमो सिद्धाणं।
णमो आईरियाणं।
णमो उवज्झायाणं।
णमो लोए सव्व साहूणं।
एक भूल: आत्मधर्म अंक २४७ (वैशाख) मां पानुं २० लाईन ६ मां भूलथी
“पर्याय अपेक्षाए नास्तिरूप ज छे” – एम छपायेल छे, तेने बदले “परनी
अपेक्षाए नास्तिरूप ज छे” –एम सुधारीने वांचवा विनंति छे.
प्रौढ शिक्षणवर्ग
दरवर्षनी जेम आ वर्षे पण प्रौढवयना जिज्ञासु जैनभाईओ
माटेनो शिक्षणवर्ग सोनगढमां श्रावण सुद पांचम ने बुधवार ता.
१२–८–६४ थी शरू करीने श्रावण वद ९ ने सोमवार ता. ३१–८–६४
सुधी चालशे. वर्गमा श्री जैनप्रश्नोत्तरमाळा, मोक्षमार्ग प्रकाशक तथा
द्रव्यसंग्रह चालशे. निश्चय–व्यवहार संबंधी विशेष स्पष्टीकरण थशे.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)