Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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“मुंबई – महोत्सव अंक”
जन्मकल्याणकनो आनंद माणवा गजराज–ऐरावत
पण आवी पहोंच्या छे.
केवा मजाना शोभी रह्या छे सात सूंढवाळा गजराज! आ गजराज छे
तो निर्जीव अने बनावटी. परंतु भगवानना जन्मकल्याणकना महान
प्रसंगे ए पण जाणे चेतनवंता बनीने आनंदथी भाग लई रह्या छे.