करोडोनी ए बधी संपदा आपीने पण ते पोतानुं जीवन बचाववा मांगे छे, क्षणना जीवन
फलित थाय छे के लाखो करोडोनी संपदा करतांय जीवननी एक क्षण वधु किंमती छे. लाखो
करोडोनी संपदा आपतांय जीवननी एक क्षण मळी शकती नथी. तेथी जीवननी एकेक
क्षणने जे नकामी गुमावे छे ते लाखो–करोडोनी संपदा करतांय वधु किंमती वस्तुने वेडफी
रह्यो छे....जीवननां खरा मूल्यांकन तो धर्मसाधना वडे ज थई शके छे. एवी धर्मसाधना
वगर आ मोंघेरा जीवनने जे निष्फळ वेडफी रह्यो छे...तेनी मूर्खतानी शी वात!
अमृतचंद्रसूरिए रहस्यो खोल्यां छे ते टीकामां अध्यात्मरसझरता काव्यरूप २७८ श्लोक छे,
तेने ‘
मूळ भाषामां लगभग ३४ वर्ष पहेलां (वीर सं. २४प७ मां) प्रगट थयेल. त्यारबाद आ
तेनुं आधुनिक हिन्दी संस्करण प्रगट थयुं छे. तेनी किंमत २–०० (बे रूपीआ) छे. हाल पू.
गुरुदेवना प्रवचनमां सवारे परमात्मप्रकाश वंचाय छे ने बपोरे समयसारनो अंतिम भाग
(४७ शक्तिओ वगेरे) वंचाय छे; समयसार लगभग आ मासमां (१४मी वखत) पूरुं
आ कलशटीका वांचेली ने तेनी अध्यात्मशैलीथी तेमने प्रमोद आवेलो; एना आधारे तेमणे
‘समयसारनाटक’ लखेल छे. पं. श्री राजमल्लजी पांडेए आ कलशटीका उपरांत बीजा पण
ग्रंथो लखेला छे. जेमां ‘लाटीसंहिता’ मां मुख्यपणे श्रावकना धर्मोनुं वर्णन छे, तथा
‘पंचाध्यायी’ मां द्रव्य–गुण–पर्याय, सम्यक्त्वादिनुं वर्णन छे, अध्यात्मकमलमार्तंड ए
भावनाग्रंथ छे; आ ग्रंथो तथा बीजा केटलाक ग्रंथो तेमना रचेला मनाय छे.
बनारसीदासजीए आ कलश टीकाने ‘बालबोध’ टीका कही छे.