Atmadharma magazine - Ank 260
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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राजकोट–प्रतिष्ठा– महोत्सव जन्मकल्याणकनी सवारीनां द्रश्यो










मेरु–प्रदक्षिणा
अजमेरना कलाकारनुं नृत्य
गछत मंदिर शिखर उपर भुवन जीवन जिनतणो, जिन जन्मउत्सव करण कारण, आवजो सवि सुरगणो;
तुम शुद्ध समकित थाशे निर्मळ देवाधिदेव नीहाळतां, आपणां पातिक सर्व जाशे नाथ चरण प्रक्षालतां
सुरपति मेरु–शिखर जई चडीया............. कनक कलश क्षीरोदक भरीया...........
चालो......आपणे पण कळश भरीने मेरु पर जईए, ने प्रभुजीनो अभिषेक करीने पावन थईए.