
मेरु–प्रदक्षिणा
तुम शुद्ध समकित थाशे निर्मळ देवाधिदेव नीहाळतां, आपणां पातिक सर्व जाशे नाथ चरण प्रक्षालतां
चालो......आपणे पण कळश भरीने मेरु पर जईए, ने प्रभुजीनो अभिषेक करीने पावन थईए.
Atmadharma magazine - Ank 260
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).
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