दीक्षाकल्याणक प्रसंगे आदिनाथ प्रभुना केशलोचनुं द्रश्य.
पू. श्री कानजीस्वामी अत्यंतभक्तिपूर्वक ए विधिमां भाग लई रह्या छे.
दीक्षा पछीना वैराग्य प्रवचनमां गुरुदेव कहे छे के: अहा, चैतन्यना आनंदमां
झूलता मुनिओनी शी वात! मुनि एटले तो जाणे हालता चालता सिद्ध;
आत्माने ओळखीने ए मुनिदशानी भावना भाववा जेवी छे.