: जेठ: आत्मधर्म :२प:
सम्मेदशिखर संबंधमां भारतभरना दि० जैनोनुं
अभूतपूर्व सरघस
सम्मेदशिखर–जैनोनुं महान तीर्थ, जेने समस्त जैनो परमभक्तिथी सदाकाळ
पूजता आव्याछे, तेना संबंधमां बिहार सरकारे श्वेतांबरसमाज साथे जे एकपक्षी
अनुचित करार करेल छे, तेनो भारतभरना दिगंबर जैनसमाजमां अत्यंत विरोध छे.
आ विरोध प्रदर्शित करवा ता. ३–प–६प ना रोज दिल्हीमां दि० जैनसमाजनुं एक
सरघस लालकिल्लाथी शरू थईने वडाप्रधान श्री लालबहादुरजी शास्त्रना निवासस्थाने
गयुं हतुं. आ अभूतपूर्व सरघसमां भारतभरमांथी एक लाख उपरांत दि० जैनोए
भाग लीधो हतो. जैनोनुं आवुं विशाळ अने शांत सरघस दिल्हीना ईतिहासमां प्रथम
ज हतुं. सम्मेदशिखरजी संबंधी जयघोष करतुं तथा हजारो झंडा अने चित्रो वगेरे सहित
सरघस शास्त्रीजीना निवासस्थाने पहोच्युं, त्यां दि० जैनोना प० जेटला आगेवान
प्रतिनिधिओए शास्त्रीजीने मळीने निवेदन आप्युं. शास्त्रीजीए आ संबंधी तपास
करीने अन्यायनी स्थिति दूर करवानुं वचन आप्युं हतुं. आ संबंधमां दिल्हीना प्रसिद्ध
दैनिक नवभारत टाईम्स” मां जे रिपोर्ट छपायेला छे ते अहीं (जैनमित्र मांथी]
साभार उध्धृत करीए छीए.
सम्मेदशिखर क्षेत्रपर किसी एक जैन समुदायका हक नही
प्रधानमन्त्रीसे दिगम्बर जैनियोंका आग्रह
“नई दिल्ली, ३ मई। प्रधानमन्त्री श्री लालबहादूर शास्त्रीने एक प्रतिनिधि
मंडलको आश्वासन दिया है कि प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेदशिखरके सम्बन्धमें बिहार
सरकार द्वारा श्वेताम्बर समाजके साथ किये गये करारसे दिगम्बर जैन समाजके
प्रति अन्यायकी जो स्थिति पैदा हो गयी है उसकी जांच की जायगी और उसे
दूर किया जायगा।
प्रतिनिधि मंडलने श्री शास्त्रीजीको एक स्मरणपत्र पेशकर बताया कि
पारसनाथ पहाड [सम्मेदशिखर] दिगम्बर जैनियोंका सर्वोत्कृष्ट तथा सर्वाधिक
पावन तीर्थक्षेत्र है। बिहार सरकारसे एक तरफा करार कराके इसका नियंत्रण
श्वेतांबर जैन समाजको देने से देशके कई लाख दिगम्बर जैनियोंमें भारी क्षोभ
पैदा हो गया है और उनके धार्मिक अधिकारोंको ठेस पहुंची