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है। प्रतिनिधि मंडलने प्रधान मंत्रीसे अनुरोध किया कि वे स्वयं इस मामलेमें
हस्तक्षेप करें और दि० जैन समाजके प्रति हुए अन्यायको दूर करायें।
स्मरणपत्र अखिल भारतीवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र रक्षा कमेटीके अध्यक्ष,
प्रसिद्ध उधोगपति श्री साहू शान्तिप्रसाद जैनने दिया। प्रतिनिधि मंडलमें आपके
अतिरिक्त मणिपुर, मध्यप्रदेश आदिसे आये अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल थे।
िवशाल जूलूस
बिहार सरकार द्वारा किये गये एकतरफा कराकके प्रति अपना रोष व्यक्त
करनेके लिय आज सुबह एक लाखसे अधिक दि० जैनोंने ऐतिहासिक
लालमंदिरसे एक जुलूस निकाला जो छः मीलका मार्ग तय करके जनपथ पर
प्रधानमन्त्रीके निवासस्थान तक गया। लगभग ढाई मील लन्बे उस जुलूसमें
देशके अनेक भागोंसे आये हुए व्यक्ति थे।
दोनों वर्गोका हक
जुलूसमें महिलाओ और बचोंकी भी बडी तादाद थी। जुलूसमें भाग लेनेके
लिये पिछली एक रातमें ही लगभग पांच सौ बस बाहरसे आयी। अनेक व्यक्ति तो
सुबह बसों और रेलगाडीसे उतर कर सीधे जुलूसमें शामिल हो गये। जुलूसके
आगे मोटर साइकिल सवार थे और उनके पीछे देशके दिगम्बर जैन समाजके
गण्यमान्य व्यक्ति थे। जुलूस सुबह सात बजे रवाना हुआ। साढे नौ बजे
प्रधानमन्त्रीके निवासस्थान पर पहुंचा। प्रधानमंत्रीको बताया गया कि हजारों
वर्षोसे सम्मेदशिखर तीर्थं क्षेत्रमें प्रत्येक जैन पूजा–आराधना करता आया है और
दिगम्बर जैनोंके लिए यह स्थान विशेषरुपसे पावन तथा आराध्य है।
प्रतिनिधियोंने श्री शास्त्रीको बताया कि १९२६ में प्रिवीकाैंसिलने भी ईस स्थान पर
दि० जैन समाजके अधिकारको स्वीकार किया था।
न्यायाधीशने अपने निर्णयमें कहा था कि यदि श्वेतांबर जैन समाजने कुछ
जैनतीर्थोंका जीर्णोद्धार कराया तो ईसका मतलब यह नहीं हो जाता कि उस पर
केवल उनका ही अधिकार होना चाहिए। सम्मेदशिखर तीर्थ प्रत्येक जैनके लिये
तीर्थ स्थल है जिस पर एक वर्गका नियन्त्रण नहीं हो सकता।”
ApaNe AshA rAkhIe ke shvetAmbar samAjanA ApaNA jainabandhuo paN A
sambandhamAn uchit ane gauravabharyun valaN apanAvIne, bihArasarakAr sAthenA karAramAn
samasta jainasamAjane santoSh thAy evo sudhAro karAvavAmAn sahakAr Apashe ne e rIte
jain– samAjamAn samp ane gaurav jALavavAmAn sAth Apashe.
“जय सम्मेदशिखर”
bra0 ha. jain