Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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भरतना भक्तोने भेजे नाथ...धर्मद्धवृद्धिनां आशीष आज’
(सीमंधर जिन स्तवन)
(राग: भज भज प्यारे भगवान....)
वंदीये विदेहना भगवान
छे सीमंधर रूडा नाम....
हृदय बिराजो मारा नाथ!
भावुं छुं हुं तो दिनरात....।। टेक।।
दूर दूर प्रभु! तारो देश,
पहोंचुं कई विध हजूर जिनेश?
प्रभुजी देखो ज्ञान मोझार,
सेवक वंदे वार हजार....वंदीये
अम अनाथनो छे तुं नाथ,
शिवपुरनो तुं साचो साथ;
नित नित उठी करुं प्रणाम;
पाऊं जीवन के अभिराम....वंदीये
चंदा आवे नितनित नाथ,
संदेश पूछुं तारा नाथ!
फिर फिर भेजुं दरशन काज
जाव चंदाजी देखो नाथ....वंदीए
चंदा के’ छे सुणो जिन–दास,
वाणी सूणी जिननी आज;
धर्मवृद्धिनां आशीष आज;
भरतना भक्तोने भेजे नाथ!...वंदीये
सुवर्णपुरे शासन शिरताज,
शोभे छे शासन युवराज
जय जय वरते भरते आज
जैन धरमना जय जयकार....वंदीये
(एक नानो भक्त)